सनातन धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता का समर्पित होता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रत्येक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित होता हे। इसलिए, यदि आप विशेष रूप से भगवान के सभी अवतारों और रूपों की पूजा करना चाहते हैं, तो आपको भगवान की भक्ति करने के लिए एक पूरा दिन मिलता है। सप्ताह का प्रत्येक दिन एक विशेष भगवान को समर्पित होता है और विशेष भगवान की पूजा होती है। उदाहरण के लिए सोमवार का दिन भगवान शिव का समर्पित होता है और मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है।
यदि किसी दिन कोई व्रत व त्योहार आता है जो नक्षत्र पर निर्भर करता है। तो उस विशेष देवता कि भी पूजा होती है। जैसे - सावन के महीने में प्रत्येक मंगलवार के दिन माता पार्वती की पूजा होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा होती है। चतुदर्शी के दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है।
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा होती है। सोमवार के दिन भक्त पूरे दिन का उपवास करते है और एक समय भोजन कर सकते है।
मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की पूजा होती है। हनुमान जी को शक्ति का स्वामी कहा जाता है और प्रभु राम भक्त है। हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार कहा जाता हैं।
बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान होता है। भगवान गणेश सभी बाधाओं को दूर करने वाले हैं इनकी पूजा का सबसे अच्छा बुधवार का दिन होता है।
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह विष्णु की पत्नी, देवी लक्ष्मी की पूजा करने का भी दिन है। ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार का दिन भाग्य और धन के देवता की पूजा करने का एक शुभ दिन है।
शुक्रवार का दिन जगत जन्नी माता पार्वती की पूजा होती है और माता दुर्गा, संतोषी मा व उनके सभी अवतारों की पूजा की जाती है। इस दिन महालक्ष्मी की पूजा व व्रत का विधान भी है। पूरे दिन का उपवास करते है और एक समय भोजन कर सकते है।
शनिवार के दिन भगवान शनि देवा की पूजा का विधान है। इस दिन नवग्रहों, हनुमान और देवी काली की भी पूजा होती है। शनि देव बुरे प्रभाव को मिटाते है। पूरे दिन का उपवास करते है और एक समय भोजन कर सकते है।
रविवार भगवान सूर्य या सूर्य भगवान का दिन है, जिसे भगवान सूर्यनारायण भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने वालों को एक बार भोजन करने की अनुमति होती है और वह भी सूर्यास्त से पहले।