मंगलवार व्रत और कथा

महत्वपूर्ण जानकारी

  • मंगलवार व्रत और कथा
  • मंगलवार, 05 नवंबर 2024

मंगलवार व्रत यह व्रत हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। मंगलवार का दिन हिन्दू धर्म में भगवान हनुमान का दिन माना जाता है। मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाती है और व्रत किया जाता है। मंगलवार का व्रत हनुमान की कृपा व आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हनुमान की सभी की रक्षा करते है। ऐसा विश्वास है कि कलयुग में भगवान हनुमान धरती पर रहते है और अपने भक्तों की रक्षा करते और आर्शीवाद देते है। ऐसा माना जाता है कि मंगलवार का व्रत करने से भूतो व काली शाक्तियों का भय नहीं रहता है। हनुमान चालीसा में लिखत है ‘‘तुम रक्षक काहु को डरना’’ अर्थात् जिसके रक्षक आप हो तो उसको किस का डर है।

व्रत का उदे्दश्य

सर्व सुख, रक्त विकार, राज्य सम्मान तथा संतान की प्राप्ति के लिये मंगलवार का व्रत उत्तम है।

मंगलवार व्रत विधि

इस व्रत में गेहूँ और गुड़ का ही भोजन करना चाहिए। भोजन दिन रात में एक बार ही ग्रहण करना ठीक होता है। व्रत 21 सप्ताह तक करें। मंगलवार के व्रत से मुनष्य के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। व्रत के पूजन के समय लाल पुष्पों को चढ़ावें और लाल वस्त्र धारण करें। अंत में हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए तथा मंगलवार की कथा सुननी चाहिए।

मंगलवार व्रत कथा

एक निःसन्तान ब्राह्मण दम्पत्ति काफ़ी दुःखी थे। ब्राह्मण वन में पूजा करने गया और हनुमान जी से पुत्र की कामना करने लगा। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्त के लिये मंगलवार का व्रत करती थी। मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पायी और ना भोग ही लगा सकी। तब उसने प्रण किया कि अगले मंगल को ही भोग लगाकर अन्न ग्रहण करेगी। भूखे प्यासे छः दिन के बाद मंगलवार के दिन तक वह बेहिओश हो गयी। हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हो गये। उसे दर्शन देकर कहा कि वे उससे प्रसन्न हैं और उसे बालक देंगे, जो कि उसकी सेवा किया करेगा। इसके बाद हनुमान जी उसे बालक देकर अंतर्धान हो गये। ब्राह्मणी इससे अति प्रसन्न हो गयी और उस बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है। पत्नी ने सारी कथा बतायी। पत्नी की बातों को छल पूर्ण जान ब्राह्मण ने सोचा कि उसकी पत्नी व्यभिचारिणी है। एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुंए में गिरा दिया और घर पर पत्नी के पूछने पर ब्राह्मण घबराया। पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया। रात को हनुमानजी ने उसे सपने में सब कथा बतायी, तो ब्राह्मण अति हर्षित हुआ। फ़िर वह दम्पति मंगल का व्रत रखकर आनंद का जीवन व्यतीत करने लगे।









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