श्री गणेश स्तुति - ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे

ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे
कविं कवीनामुपमश्रवस्तम्
जेष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पतआ नः
शृण्वत्रूतिभिः सीद सादनम् || (ऋग्वेद)

ॐ गणांना त्वा गणपतिं हवामहे
प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे
निधिनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम
आह्मजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम् || (शुक्लयजुवेद)

ॐ नमो गणेभ्यो गणपतिभ्यश्र्चवो
नमो नमो व्रातेभ्यो व्रातपतिभ्यश्र्चवो
नमो नमो विरूपेभ्यो विरूपेभ्यश्र्चवो नमः || (यजुवेद)

गुणातीतमानं चिदानंदरुपम् |
चिदाभासकं सर्वगं ज्ञानगम्यम् |
मुनिश्रेष्ठमाकाशरूपं परेशम् |
परब्रह्मरूपं गणेशं भजेम ||

एकदन्तं शूर्पकर्ण गजवक्त्र चतुभूर्जम् |
पाशांकुशधरं देवं ध्यायेत सिद्धीविनायकम् ||

गजवदनम चिन्त्य तीष्णदंष्ट्रम त्रीनेत्रम् |
बृहदुदरमशेशं भूतराजं पुराणम् |
अमरवरसुपूज्यं रक्तवर्ण सुरेशम् |
पशुपतिसुतमीशं विघ्नराजं नमामि ||









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