कार्तिक स्नान हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो कि कार्तिक मास के पहले दिन से मनाया जाता है। यह दिन अक्टूबर व नवंबर के महीनों के दौरान पड़ती है। कार्तिक पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है।
कार्तिक मास के दौरान स्त्री और पुरुष दोनों को सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और ऐसा पूरे कार्तिक महीने में करना चाहिए।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि कार्तिक के महीने के दौरान, भगवान विष्णु ने वेदों को पुनर्स्थापित करने के लिए ’मत्यसा’ रूप में अवतार लिया था। कार्तिक स्नान का वास्तविक समारोह कार्तिक पहले दिन से शुरू होता है और पूरे कार्तिक मास चलता रहता है। हरिद्वार, ब्रजघाट, वाराणसी, प्रयागराज, कुरुक्षेत्र और पुष्कर महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थल हैं, जहां कार्तिक स्नान के लिए लाखों भक्त जाते है।
कार्तिक स्नान के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान पवित्र नदियों या जल निकायों में स्नान करना है। इस दिन भक्त सूर्योदय के समय उठकर धार्मिक स्नान करते हैं। इस पवित्र स्नान को स्त्री और पुरुष दोनों करते हैं ऐसा पूरे कार्तिक महीने में करना चाहिए।
कार्तिक महीने गंगा में स्नान करना बहुत पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि गंगा में स्नान करना संभव न भी हो, तो भी आस-पास के किसी भी जलाशय में जाना चाहिए या अपने स्नान करने के पानी में गंगा जल का मिलाकर स्नान करना चाहिए।
कुछ भक्त इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को रखने वाले को ब्राह्मण को भोजन भी कराना चाहिए।
कार्तिक स्नान के अवसर पर, भक्त सर्वोच्च संरक्षक भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं, जबकि कुछ भक्त पवित्र नदियों की देवी गंगा माता की भी पूजा करते हैं।