पौष हिन्दू धर्म में एक मास का नाम होता है, जिसे चन्द्र हिन्दू कैलेंडर में पौष मास कहा जाता है। हिन्दू धर्म विक्रम सवंत् के अनुसार 10 महीना होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में दिसम्बर व जनवरी का महीना होता है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व होता है इस प्रकार पौष मास का भी महत्व है। पौष मास में सूर्य की उपासना का महत्व दिया जाता है। इस प्रकार प्रत्येक मास किसी न किसी देवता के लिए विशेष माना जाता है।
विक्रम संवत में पौष का महीना दसवां महीना होता है। हिन्दू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। हिन्दू धर्म में महीना का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को पौष का मास कहा जाता है।
पौराणिक ग्रंथों की मान्यता अनुसार पौष मास में सूर्य देव की उपासना उनके भग नाम से करनी चाहिए। पौष मास के भग नाम सूर्य को ईश्वर का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने व इनका उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस मास प्रत्येक रविवार व्रत व उपवास रखने और तिल चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है।