नीली छतरी मंदिर एक प्राचील मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर युमना बाजार क्षेत्र, सलीमघढ किले, रिंग रोड़, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली में स्थित है। यह मंदिर यमुना नदी के किनारे व सड़क के किनारे पर स्थित है मंदिर के दोनो तरफ सड़क है जहां पर काफी टैªफिक चलता रहता है। दोनो सड़को से मंदिर के अन्दर जाया जा सकता है। एक तरफ महात्मा गांधी रोड़ है जहां से मंदिर के ऊपर बने गुम्बद में जाया जा सकता है, तथा दूसरी सड़क है जिसको लोहे वाले पूल की सड़क के नाम से जाना जाता है जो पुरानी दिल्ली से गांधी नगर जाती है। इस सड़क पर मंदिर का मुख्य द्वार है। मंदिर में जाने के लिए गांडियों के लिए कोई पार्किग नहीं है अगर कोई अपनी गाड़ी से जाता है तो उसे अपनी गाड़ी को मरघट वाले हनुमान के पास बनी पार्किग में गाड़ी पार्क करनी पडेगी। जो लगभग 200 मीटर की दूरी पर है।
नीली छतरी मंदिर की स्थापना पांडवो के ज्येष्ठ भाई युधिष्ठर ने की थी, ऐसा माना जाता है कि युधिष्ठिर ने अश्वमेघ यज्ञ इस मंदिर में आयोजित किया था। इस मंदिर के इतिहास बारे में कोई विशेष उल्लेख नहीं है। फिर भी इस मंदिर को पांडवा कालीन मंदिर कहा जाता है। नीली छतरी एक गुम्बद है जो कि नीली रंग का टाईलों से बना हुआ है। इसलिए इसे नीली छतरी मंदिर कहा जाता है।
इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि इस मंदिर में गुम्बद के नीचे भगवान शिव की पूजा की जाती है और मंदिर के ऊपर अलग देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि हर एक व्यक्ति के कोई न कोई कुल देवी व देवता होते है इस प्रकार यह पर केशवमल बवाली जो कि नीली छत्तरी के नाम से जाने जाते है। लोग उनको अपना कुल देवता मानते है और उनकी पूजा करते है। यहां पर ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति पांच लडडू और एक सिरगेट को यहां प्रासद के रूप में अर्पित करता है तो उसकी मनोकामना पुरी हो जाती है।
लेकिन कैर स्टीफन (1876 में) ने इस स्थान को ‘दिल्ली के पुरातत्व और स्मारकीय अवशेष’ के इतिहास में वर्णित किया है कि नीली छत्तरी एक कब्र है। जिसका संबध मुगल काल से है।
मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय शिवरात्रि के त्यौहार के दौरान होता है जब यह शानदार ढंग से सजाया जाता है और भक्ति गतिविधियों से भरा होता है। सोमवार के दिन विशेष रूप से भगवान शिव के दर्शन के लिए भक्त आते क्योकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता है। मंदिर पूरे वर्ष खाला रहता है और सभी जातियों और पंथ के आगंतुकों का स्वागत करता है।