रानी सती मंदिर जो कि एक हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर भारत के राज्य राजस्थान, झुंझुनू जिले में है। इस मंदिर का नाम भारत के सबसे बड़े मंदिरों में आता है। रानी सती मंदिर को राजस्थान के लोकल भाषा में राणी सती दादी का मंदिर कहा जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर 400 वर्ष पुराना है। यह मंदिर अपने आप में भव्य है इस मंदिर की कलाकृति व अनुपम चित्रकारी इस मंदिर में 4 चाँद लगा देती है।
इस मंदिर परिसर में 13 सती मंदिर है जिसमें 12 छोटे और 1 बड़ा मंदिर है जो कि रानी सती का है। इनके ही परिवार में सन् 1762 तक 12 सतियाँ और हुई थी। इन 12 सतियों के छोटे छोटे सुंदर कलात्मक मंढ शवेत संगमरमर के एक पंक्ति में बने हुए है। जिनकी मान्यता व् पूजा बराबर होती आ रही है । इसी कुल कि 12 सतियाँ झुंझनू में और हुई। (1) माँ नारायणी (2) जीवणी सती (3) पूर्णा सती (4) पिरागी सती (5) जमना सती (6) टीली सती (7) बानी सती (8) मैनावती सती (9) मनोहरी सती (10) महादेई सती (11) उर्मिला सती (12) गुजरी सती (13) सीता सती।
मंदिर के पास एक बगीचा है जिसमें भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में भगवान हनुमान, सीता, ठाकुर जी (श्रीकृष्ण), भगवान गणेश और भगवान शिव का मंदिर भी है।
इस मंदिर में किसी भी महिला या पुरुष देवताओं की कोई भी पेंटिंग या मूर्ति नहीं रखने के लिए उल्लेखनीय है। इसके बजाय अनुयायियों द्वारा धार्मिक रूप से शक्ति और बल का चित्रण करने वाले त्रिशूल की पूजा की जाती है।
इस स्थान पर रानी सती 13वीं व 17वीं के बीच रहती थी। रानी सती ने अपने पति के मृत्यु पर आत्मदह किया था, इस दौरान इस तरह का आत्मदह को सती होना कहा जाता था। यह एक प्रथा थी, जिस पर भारत सरकार ने अब रोक लगा दी है। रानी सती के इस कृत्य को मनाने के लिए यह मंदिर समर्पित हैं। रानी सती को नारायणी देवी भी कहा जाता है और दादी के रूप में भी जाना जाता है।
राजस्थान के मारवाड़ियों की यह दृढ़ मान्यता है कि रानी सती मां दुर्गा का अवतार हैं। राजस्थान के मारवाड़ी समाज के साथ-साथ देश के अन्य सभी हिस्सों से रानी सती दादी प्रतिदिन अपने घरों में पूजा करते हैं।
भद्रा अमावस्या के अवसर पर एक विशेष पूजनोत्सव आयोजित किया जाता है। हिंदू कैलेंडर में भाद्र माह के अंधेरे आधे दिन का मंदिर में विशेष महत्व है। मंदिर की मान्यता झुंझुनू में रानी सती मंदिर कलकत्ता के मारवाड़ी मंदिर बोर्ड द्वारा प्रशासित है। यह भारत के सबसे धनी मंदिर ट्रस्टों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की कमाई दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर से बहुत कम है।