शाकंभरी माता मंदिर - सीकर, राजस्थान

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: N H-8, सकराई, गुरारा, राजस्थान 332721
  • समय: सुबह 06:00 बजे से रात 09:00 बजे तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: सीकर जंक्शन, जो शाकंभरी माता मंदिर से लगभग 37.3 किमी दूर है।
  • निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर हवाई अड्डा, जो शाकंभरी माता मंदिर से लगभग 136 किमी दूर है।
  • क्या आप जानते हैं शाकंभरी की माता अजमेर के चौहानों की कुलदेवी थीं।

शाकंभरी माता मंदिर हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शाकंभरी माता मंदिर देवी शांकभरी को समर्पित है। शाकंभरी माता मंदिर भारत के राज्य राजस्थान, जिला सीकर, गांव सकराय में स्थित है। शाकंभरी माता मंदिर सीकर जिले से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी पर अरावली क्षेत्र में स्थित हैं। झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी के समीप यह मंदिर उदयपुरवाटी गाँव से 16 की.मी. की दूरी पर है। मंदिर के पास आम्रकुंज एवं निएमल जल का झरना है जो कि माता के दर्शन हेतु भक्त आते उनको आक्रषित करता है।

शाकंभरी माता के मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है और इस पर नाथ सम्प्रदाय का वर्चस्व रहा है। मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया था।

शाकंभरी माता देवी

शाकंभरी माता के मंदिर में देवी की दो प्रतिमाये है ब्रम्हाणी एवं मां रुद्राणी के रूप में। मंदिर के गर्भग्रह में देवी की दोनों प्रतिमाये चाँदी के सिंघासन पर विराजमान है। ये दोनों प्रतिमाएं महिषासुरमर्दिनि देवी की है। दोनों देवियों की आठ भुजाएं है ,जिनमे वो अस्त्र शास्त्र धारण किये हुवे है। माँ की दोनों प्रतिमाये बड़ी सुन्दर एवं सिन्दूरित है। दोनों प्रतिमाएं एक जैसी है, बस यह अंतर है की माँ रुद्राणी की प्रतिमा स्थानीय मेड़ पत्थर से निर्मित है, जब कि ब्राह्मणी माँ की प्रतिमा संगमरमर से बनी हुई है। प्राचीन तथ्यों के अनुसार माँ का नाम पहले शंकरादेवी था, जो बाद में सकरायमाता एवं शाकंभरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शाकंभरी माता के शक्तिपीठ

देशभर में माँ के तीन शक्तिपीठ है। पहला प्रमुख राजस्थान के सीकर जिले में, उदयपुरवाटी के पास सकरायमाता जी के नाम से स्थित है। दूसरा राजस्थान के सांभर जिले में स्थित है। और तीसरा स्थान उत्तरप्रदेश के मेरठ के पास सहारनपुर में 40 की.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर गणपति जी, देवी शंकरा जी,एवं कुबेर जी की प्राचीन प्रतिमाएं देखने को मिलती है। मंदिर के आसपास जटाशंकर मंदिर, तथा श्री आत्ममुनि आश्रम भी है। नवरात्री के दौरान 9 दिनों में यहाँ उत्सव का आयोजन होता है। सालभर इस मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है।











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