रामाय रामभद्राय - भगवान राम मंत्र
thedivineindia.com | Updated UTC time: 2024-01-08 03:48:38
यह मंत्र भगवान राम को समर्पित एक श्रद्धापूर्ण और भक्तिपूर्ण मंत्र है। यहाँ मंत्र का अनुवाद है:
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥
अनुवाद:
"मैं सदाचारी, आनंद के अवतार, रघुवंश के प्रकाशक, परम स्वामी और सीता के पति भगवान राम को प्रणाम करता हूं।"
प्रत्येक अक्षर का महत्व
- रामाय: यह शब्द भगवान राम को सीधे संबोधित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देता है। यह राम के दिव्य स्वरूप का प्रतीक है।
- रामभद्राय: यह शब्द राम को सभी अच्छाइयों और शुभताओं के स्रोत के रूप में स्वीकार करता है। यह उनके सात्विक स्वभाव पर जोर देता है।
- रामचन्द्रराय: यह भगवान राम को रात के आकाश में चंद्रमा के रूप में सम्मान देता है, जो अपनी दिव्य चमक से अज्ञान के अंधेरे को रोशन करता है।
- वेधसे: यह शब्द भगवान राम को ब्रह्मांड के अंतिम निर्माता और पालनकर्ता के रूप में दर्शाता है, जो उनकी ब्रह्मांडीय भूमिका को स्वीकार करता है।
- रघुनाथाय: यह शब्द भगवान राम को रघु वंश के भगवान और रक्षक के रूप में संबोधित करता है। यह एक महान शासक के रूप में उनकी दिव्य वंशावली और गुणों को स्वीकार करता है।
- नाथाय: यहां, मंत्र भगवान राम को दिव्य "नाथ" के रूप में पहचानता है, जो सभी का स्वामी और पालनकर्ता है। इसका तात्पर्य उनके भक्तों के संरक्षक और मार्गदर्शक के रूप में उनकी भूमिका से है।
- सीतायः: मंत्र का यह भाग भगवान राम की पत्नी और सदाचार, पवित्रता और भक्ति की अवतार सीता का सम्मान करता है। यह उसके पक्ष में उसकी उपस्थिति को स्वीकार करता है।
- पतये: "पतये" शब्द भगवान राम को सर्वोच्च भगवान और परम प्राधिकारी के रूप में दर्शाता है। यह उनकी दिव्य संप्रभुता को उजागर करता है।
- नमः : राम को नमस्कार है।
पवित्र अभिवादन
- राम मंत्र भगवान राम को उनके दिव्य नामों से संबोधित करते हुए हार्दिक अभिनंदन है। मंत्र का प्रत्येक शब्द गहरे आध्यात्मिक महत्व से गूंजता है, जो भगवान राम की दिव्यता के सार को समाहित करता है।
समय और स्थान से परे
- यह मंत्र समय और स्थान की सीमाओं को पार करता है, युगों-युगों तक भगवान राम की दिव्य उपस्थिति को अपने साथ रखता है। यह भक्त को परमात्मा के शाश्वत और अपरिवर्तनीय पहलू से जोड़ता है।
यह मंत्र भगवान राम को नमस्कार है और अक्सर भक्तों द्वारा उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा की अभिव्यक्ति के रूप में इसका पाठ किया जाता है। यह हिंदू धर्म में भगवान राम के दिव्य गुणों और महत्व को स्वीकार करता है।
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