आदि कैलाश यात्रा 2025 - हिन्दू धर्म में लोकप्रिय तीर्थ यात्रा

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता : हीरा गुमरी आरएफ, उत्तराखंड 262546
  • यात्रा प्रारंभ: 04 मई 2025
  • यात्रा समय अवधि: 11 रातें और 12 दिन लगभग।
  • कुल पैदल यात्रा : 76 किमी
  • ट्रेकिंग का प्रारंभिक बिंदु : लखनपुर
  • यात्रा का सबसे अच्छा समय : अप्रैल से जून और सितम्बर से अक्टूबर का होता है। वर्षा के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: पिथौरागढ़ से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन और पिथौरागढ़ से लगभग 176 किलोमीटर की दूरी पर टनकपुर रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: पिथौरागढ़ से लगभग 243 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर हवाई अड्डा, उधम सिंह नगर, पंतनगर, उत्तराखंड।
  • सड़क मार्ग से: आईएसबीटी नई दिल्ली से चंपावत, अल्मोड़ा और टनकपुर जैसे कई कुमाऊं क्षेत्रों के लिए सीधी बसें उपलब्ध हैं, जहां से आप धारचूला के लिए स्थानीय टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या यदि आप कम खर्च करना चाहते हैं तो सार्वजनिक परिवहन आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है।

आदि कैलाश हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आदि कैलाश सम्बंध भगवान शिव से है और हिन्दू धर्म में यह एक पवित्र माना जाता है। आदि कैलाश को शिव कैलाश, छोटा कैलाश, बाबा कैलाश और जोंगलिंगकोंग पीक के नाम से भी जाना जाता है। आदि कैलाश भारत के राज्य उत्तराखंड, जिला पिथौरागढ़, हिमालाय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। आदि कैलाश को तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत की प्रतिकृति कहा जाता है। आदि कैलाश भारत-तिब्बत सीमा के निकट भारतीय क्षेत्र के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। आदि कैलाश की उँचाई समुद्र तल से लगभग 5,945 मीटर है।

ऐसा कहा जाता है कि जो लोग तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत के दर्शन नहीं कर सकता है तो वह आदि कैलाश के दर्शन कर भगवान शिव का आर्शीवाद व कृपा पा सकता है।

आदि कैलाश यात्रा या छोटा कैलाश यात्रा

आदि कैलाश की यात्रा हिन्दू धर्म में लोकप्रिय तीर्थ यात्रा मानी जाती है। तिब्बत में स्थित कैलाश की भांति यह भी एक सरोवर है। सरोवर के किनारे भगवान शिव और माता पार्वती का मंदिर स्थित है। साधु-सन्यासी इस पवित्र यात्रा को प्राचीन काल से करते आये है। आदि कैलाश की यात्रा लगभग 12-14 दिनों में पुरी होती है, जिसे पदैल द्वारा किया जाता है। यदि कोई यात्रा पदैल करने में असमर्थ होता है तो घोड़े पर सवारी करके भी यात्रा कर सकता है। यात्रा के दौरान पार्वती झील, शिव मंदिर और गौरीचक के प्राचीन तीर्थ स्थल के भी दर्शन किये जाते है।

आदि कैलाश यात्रा सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है। जिसे लगभग 12 दिनों में पुरी करनी होती है। आदि कैलाश यात्रा का स्टार्टिंग पॉइंट ट्रेक का प्रारंभिक बिंदु लखनपुर है, जो धारचूला से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लखनपुर से ट्रेकिंग शुरू करने के बाद लामरी, बुधी, नाभि, नम्फा, कुट्टी, ज्योलींगकोंग, नबीढांग, ओम पर्वत और कालापानी के माध्यम से आगे बढ़ते है, जो फिर शिन ला दर्रे के माध्यम से दारमा घाटी के साथ जुड़ जाता है। आदि-कैलाश ट्रेकिंग के दौरान, पर्यटक अन्नपूर्णा की बर्फ की चोटियों, विशाल काली नदी, घने जंगल, जंगली फूलों से भरे नारायण आश्रम और फलों की दुर्लभ विविधता और झरनों को देखा जा कसता है।

इसके अलावा, आदि-कैलाश का ट्रेक कालापानी में प्रसिद्ध काली मंदिर तक भी ट्रेकर्स को ले जाता है जो एक बहुत ही शुभ स्थान है। इसके अलावा, सुचुमा आदि कैलाश के पास एक चमत्कारिक जलधारा है जो हर तीन दिनों में बहती है और पूरे वर्ष में तीन दिनों तक निरंतर चक्र में चलती है। आचरी ताल, पार्वती सरोवर और गौरी कुंड इन क्षेत्रों में बहुत ही शुभ और प्राचीन जल निकायों में से कुछ हैं जिन्हें यात्रा के दौरान देखा सकता है।

आदि कैलाश यात्रा मार्ग

दिल्ली - काठगोदाम - पिथौरागढ़ - धारचूला - लखनपुर - लमारी - बूडी - नबी - नंपा - कुट्टी - जोलिंगकोंग - कुट्टी - नमापा - नबी - ओम पर्वत - नबी - चियालेख - बूडी - लमारी - लखनपुर - धारचूला - काठगोदाम - हल्द्वानी - दिल्ली







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