हिमालय के चार धाम यात्रा को छोटा चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस छोटे चार धाम में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है। तीर्थयात्री यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री (यमुना) और गंगोत्री (गंगा) का दर्शन करते हैं। यहां से पवित्र जल लेकर श्रद्धालु केदारेश्वर (केदारनाथ) पर जलाभिषेक करते हैं और अन्त में बद्रीनाथ के दर्शन करते है तथा हिमालय के चार धाम यात्रा यह पूर्ण हो जाती है। बद्रीनाथ धाम इनमें धामों मे से सबसे लोकप्रिय है। बद्रीनाथ धाम का नाम चार धामों में भी आता है जो भारत के चार दिशाओं के महत्वपूर्ण मंदिर है। ये मंदिरें हैं- पुरी, रामेश्वरम, द्वारका और बद्रीनाथ।
हिमालय के चार धाम हिंदू धर्म में अपना अलग और महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। बीसवीं शताब्दी के मध्य में हिमालय की गोद में बसे इन चारों तीर्थस्थलों को छोटा विशेषण दिया गया जो आज भी यहां बसे इन देवस्थानों को परिभाषित करते हैं। छोटा चार धाम के दर्शन के लिए 4,000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई तक की चढ़ाई करनी होती है। यह मार्ग कहीं आसान तो कहीं बहुत कठिन है।
सन 1962 के पहले यहां की यात्रा करना काफी कठिन था। परंतु चीन के साथ हुए युद्ध के उपरांत ज्यों-ज्यों सैनिकों की आवाजाही बढ़ी वैसे ही तीर्थयात्रियों के लिए रास्ते भी आसान होते गए। बाद में किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए ‘छोटा’ शब्द को हटा दिया गया और इस यात्रा को ‘‘हिमालय की चार धाम’’ यात्रा के नाम से जाना जाने लगा है।
यह चार धाम आज भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए यह एक प्रमुख तीर्थस्थल बन गया है। हर साल तीर्थयात्रियों की सख्या बढ़ती ही जा रही है उपलब्ध आंकडों के अनुसार प्रत्येक वर्ष लगभग 250,000 से ज्यादा तीर्थयात्री चार धाम की यात्रा करते है। मानसून के आने के दो महीने पहले तक तीर्थयात्रियों की बढी तादाद में दर्शन हेतु आते है बारिश के मौसम में यहां यात्रा करना काफी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भूस्खलन की संभावना सामान्य से ज्यादा रहती है।
ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में मारे गये अपने परिजनो की आत्मिक शांति के लिए पाण्डव उत्तराखंड की तीर्थयात्रा मे आए तो वे पहले यमुनोत्तरी, तब गंगोत्री फिर केदारनाथ-बद्रीनाथजी की ओर बढ़े थे, तभी से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा की जाती है।
भारतीय धर्मग्रंथों के अनुसार यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थान हैं। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति यहां का दर्शन करने में सफल होते हैं उनका न केवल इस जन्म का पाप धुल जाता है वरन वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं। इस स्थान के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थल है जहां पृथ्वी और स्वर्ग एकाकार होते हैं।
इन स्थानों की महत्वता इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से काफी बढी सख्या में तीर्थयात्री मारे गये थे, परन्तु इसके बाद भी हर साल तीर्थ यात्रियों की संख्या बढती ही जा रही है।