गोवर्धन परिक्रमा हिन्दूओं का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। इस परिक्रमा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाती है जो लगभग 21 किलोमीटर है। यह गोवर्धन तीर्थस्थल भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, जिला मथुरा में स्थित है। गोवर्धन पर्वत को गिरिराज भी कहा जाता है। इस परिक्रमा का उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाना होता है। यह ब्रज का पवित्र केंद्र है और स्वयं भगवान कृष्ण के एक प्राकृतिक रूप के रूप में पहचाना जाता है। यह पर्वत छोटे-छोटे बालू पत्थरों से बना हुआ है। इस पर्वत की लंबाई 8 कि.मी. है। यह स्थान हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह परिक्रमा पूरे वर्ष की जाती है। परिक्रमा करने के लिए भारत के सभी राज्य से श्रद्धालु आते परन्तु उत्तर भारत में यह परिक्रमा काफी प्रसिद्ध है इसलिए ज्यादातर श्रद्धालु उत्तर भारत से ही आते है। इस परिक्रमा का पूरे करने में लगभग 5 से 6 घंटे का समय लगता है।
गोवर्धन परिक्रमा को दो भागों में विभाजित किया गया है। जिसे छोटी परिक्रमा और बड़ी परिक्रमा कहा जाता है। छोटी परिक्रमा लगभग 9 किलोमीटर है और बड़ी परिक्रमा लगभग 12 किलोमीटर की है। कई श्रद्धालु इन दोनों परिक्रमा को अलग अलग दिनों में भी करते है। यह परिक्रमा प्रमुख पर्व गोवर्धन पूजा, गुरु पूर्णिमा और सावन के महीनों में विशेष की जाती है इन दिनों में एक दिन लगभग 5 से 6 लाख श्रद्धालु परिक्रमा करते है। परिक्रमा करते हुए श्रद्धालु राधे-राधे बोलते हैं, जिसके कारण सारा वातावरण राधामय हो जाता है।
श्याम कुंड, ललिता कुंड, कुशुम सारोवर, उद्धव मंदिर, अशोक वन, नारद कुंड, रतना कुंड, जुगल कुंड, किलोला कुंड, पंच तीर्थ कुंड, मुखारविन्द मंदिर, काकलेश्वर मंदिर, मानसी गंगा, ब्रह्मा कुंड, राधा कुण्ड, हरिदेव मंदिर, गिरिराज मंदिर आदि।
राधारानी पदचिन्ह, लक्ष्मी-नारायण मंदिर, दानी राजा मंदिर, इस्काॅन मंदिर, पापमोचन कुंड, दानिवर्तन कुंड, चन्द्र सारोवर, गौरी कुंड, गोपाल राज मंदिर, संस्कार कुंड, गोविन्द कुण्ड, निप कुंड, नरसिंह मंदिर, पूँछरी का लोटा मंदिर, इन्द्र कुंड, सुरभि कुंड, ऐरावत कुंड, दंडवत शिला, गुलाल कुंड आदि।