कार्तिक पूर्णिमा 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • कार्तिक पूर्णिमा 2025
  • बुधवार, 05 नवंबर 2025
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 05 नवंबर 2025 को रात 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 06 नवंबर 2025 को शाम 06:48 बजे

कार्तिक पूर्णिमा हिन्दू के लिए विशेष व महत्वूपर्ण दिन है। यह वह दिन है भिन्न कारणों से त्रिदेवों की पूजा होती है, विशेषकर भगवान शिव व विष्णु जी की।

इस दिन महादेव के त्रिपुरासुन नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन को भारत में कई स्थानों पर देव-दिपावली भी कहा जाता है जिसका अर्थ देवताओं की रोशनी का त्योहार। ऐसा माना जाता है कि इस दिन को देव-दिपावली इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि त्रिपुरासन राक्षस ने देवताओं में भय उत्पन्न कर रखा था तो महादेव द्वारा इस राक्षस को मारने पर देवताओं ने इस दिन को रोशनी के त्योहार के रूप में घोषित किया था।

शिव पूजा विधान

वाराणसी में घाटों पर हजारों दिपक जलायें जाते है। लोग पुजारियों को दीपक भेंट करते हैं। घरों और शिव मंदिरों में रात भर दीपक जलाए जाते हैं। इस दिन को ष्कार्तिक दीपरत्नष् के रूप में भी जाना जाता है - कार्तिक में दीपों का गहना। नदियों में लघु नौकाओं में भी रोशनी की जाती है।

विष्णु पूजा विधान

इस तिथि को भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन गंगा स्नान, दीप दान आदि का विशेष महत्व है। इस दिन को ‘कार्तिक स्नान’ भी कहा जाता है। इसदिन दिन तुलसी के पौधे को वृंदा नाम मिला था। इसी दिन भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का भी जन्म हुआ था। कार्तिकेय को युद्ध को देवता भी कहा जाता है।

श्रीकृष्ण पूजा विधान

भगवान श्रीकृष्ण के उपासको के लिए भी यह दिन विशेष होता है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण और राधा ने रास नृत्य किया था और कृष्ण ने इस दिन राधा की पूजा की थी। यह दिन पितरों, मृत पूर्वजों को भी समर्पित है।

ब्रह्मा पूजा विधान

राजस्थान में, पुष्कर मेला या पुष्कर मेला प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहता है। जो सबसे महत्वपूर्ण यह है कि, यह मेला भगवान ब्रह्मा के सम्मान में आयोजित किया जाता है। जिनका मंदिर पुष्कर में स्थित है। कार्तिक पूर्णिमा पर पुष्कर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर तीन पुष्करों की परिक्रमा करना अत्यधिक मेधावी होता है।

कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व

इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र हो तो महा कार्तिक होती है, भरणी होने से विशेष फल देती है। रोहिणी होने पर इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश, त्रिदेवों ने इसे महापुनीत पर्व कहा है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी परोपकारी कार्य, दस यज्ञों के प्रदर्शन के बराबर लाभ और आशीर्वाद लाता है।

इस दिन अगर कृतिका नक्षत्र पर चुन्द्रमा हो और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पद्म योग होता है, जिसका बहुत बड़ा महत्व है।

इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूइया और क्षमा कृतिकाओं को पूजन वन्दना करने से संभूत पुण्य फल मिलता है। रात्रि में व्रतोपरान्त वृषदान करने से शिवलोक की प्राप्ति होती है।

सिक्खों के गुरु नानक का जन्म भी कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। अतः इस दिन गुरु नानक जयन्ती भी मनाई जाती है।







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