तिरूपति बालाजी जयंती 2024

महत्वपूर्ण जानकारी

  • तिरूपति बालाजी जयंती 2024
  • सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • अष्टमी तिथि आरंभ: 22 दिसंबर 2024 को दोपहर 02:32 बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 23 दिसंबर 2024 को शाम 05:08 बजे

बालाजी जयंती, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पूजनीय और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व भगवान बालाजी, जिन्हें भगवान वेंकटेश्वर के नाम से भी जाना जाता है, के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को दक्षिण भारत और विशेषकर तिरुपति में बड़ी श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाता है।

बालाजी जयंती का महत्व और पौराणिक कथा

बालाजी जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने मानवता के कल्याण और अधर्म का नाश करने के लिए बालाजी के रूप में अवतार लिया था। तिरुपति बालाजी मंदिर को 'कलियुग का वैकुंठ' माना जाता है, जो भगवान विष्णु का दिव्य निवास है।

इस दिन भगवान बालाजी की पूजा करने से भक्तों को अपार खुशियाँ, समृद्धि और भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ भगवान बालाजी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भगवान बालाजी अपने भक्तों को मोक्ष (मुक्ति) का मार्ग दिखाते हैं और जीवन की सभी कठिनाइयों से उबारते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु से नाराज होकर वैकुंठ छोड़कर चली गईं। भगवान विष्णु ने उन्हें ढूंढने के लिए पृथ्वी पर वेंकटाद्रि पर्वत पर निवास करना शुरू किया। यहाँ उन्होंने देवी पद्मावती से विवाह किया। तिरुपति बालाजी मंदिर इसी कथा से जुड़ा हुआ है और इसे भगवान विष्णु के कलियुग के अवतार का प्रतीक माना जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर में उत्सव

तिरुपति बालाजी मंदिर भारत का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे कलियुग का वैकुंठ कहा जाता है। यहाँ प्रतिदिन हज़ारों श्रद्धालु भगवान बालाजी के दर्शन करने आते हैं।

तिरुपति बालाजी जयंती के अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को दीपों और फूलों से सजाया जाता है। इस दिन भगवान बालाजी की मूर्ति को विशेष वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। भक्त मंदिर में अंगप्रदक्षिणा (मंदिर की परिक्रमा) करते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।

मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर भगवान बालाजी को अपने बाल अर्पित करते हैं। इसे "केशदान" कहा जाता है, जो अहंकार और नकारात्मकता का त्याग करने का प्रतीक है।

बालाजी जयंती की पूजा विधि और अनुष्ठान

बालाजी जयंती के दिन भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन की शुरुआत भक्त भोर में स्नान करके और शुद्ध वस्त्र पहनकर करते हैं। इसके बाद वे भगवान बालाजी के मंदिर में जाकर पूजा करते हैं।

पूजा विधि:

  1. स्नान और शुद्धिकरण: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पूजा के लिए तैयार होते हैं।
  2. मंदिर में दर्शन: तिरुपति मंदिर में भगवान बालाजी के दर्शन करने के लिए लंबी कतारें लगती हैं।
  3. मंत्र जाप: भक्त "ओम नमो नारायण" और "गोविंदा गोविंदा" मंत्रों का जाप करते हैं।
  4. महाआरती: मंदिर में शाम को भव्य आरती आयोजित की जाती है।
  5. प्रसाद वितरण: पूजा के अंत में भगवान बालाजी का प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है।

घर पर पूजा की विधि

यदि मंदिर जाना संभव न हो, तो भक्त अपने घर पर भगवान बालाजी की पूजा कर सकते हैं। इसके लिए भगवान बालाजी की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर रखें और उनके सामने दीपक जलाकर फूल, तुलसी दल, और मिठाई अर्पित करें। वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए भगवान से प्रार्थना करें।

आध्यात्मिक महत्व

बालाजी जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भक्तों के लिए भगवान बालाजी के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण प्रकट करने का दिन है। भगवान बालाजी को धन, समृद्धि और खुशियों के देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मोक्ष प्राप्ति:
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान बालाजी की पूजा करता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है। यह पर्व भक्तों को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है।

अंत में 

बालाजी जयंती भगवान विष्णु के बालाजी अवतार के प्रति श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का विशेष अवसर है। यह पर्व न केवल भक्तों के लिए आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि उन्हें जीवन में हर प्रकार की समृद्धि और सुख का आशीर्वाद भी प्रदान करता है। इस शुभ दिन पर भगवान बालाजी की पूजा करना, उनकी महिमा का गान करना और उनके प्रति समर्पण भाव प्रकट करना, हर भक्त के जीवन को पवित्र और आनंदमय बनाता है।



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