महामाय शक्तिपीठ हिन्दूओं के लिए सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के अमरनाथ पर्वत पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 5000 हजार साल पुराना है। जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ की पवित्र गुफा में हिम निर्मित शिवलिंग के दर्शन होते है। हिम से निर्मित लिंग को अमरनाथ शिव लिंग कहा जाता है, और इस शिवलिंग के पास हिम निर्मित शक्तिपीठ भी बनता है। इस शक्तिपीठ को पार्वती पीठ भी कहा जाता है। इस शक्तिपीठ के दर्शन केवल अमरनाथ की यात्रा आरम्भ होने पर ही होते है। आरनाथ की यात्रा बहुत ही कठिन है यह यात्रा पैदल व घोड़ो द्वारा की जाती है। यात्रा का मार्ग बर्फ व पत्थरों से भरा हुआ है।
यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को ‘महामाया’ के रूप पूजा जाता है और भैरव को ‘ त्रिसन्ध्येश्वर’ के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का ‘गला’ इस स्थान पर गिरा था।