ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक हिन्दूओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर मंधता व शिवपुरी नामक एक द्वीप पर, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ओम के आकार में बना है। ओमकारेश्वर मंदिर में स्थित ज्योति लिंग भगवान शिव के 12 ज्योति लिंग में से है तथा 12 ज्योति लिंगों में से ओमकारेश्वर को चैथा ज्योति लिंग माना जाता है। यह भगवान शिव के दो मुख्य मंदिर हैः एक ओमकारेश्वर मंदिर जिसका अर्थ है ‘‘भगवान ओमकारा’’ या ‘‘ओम की ध्वनि’’ है। दूसरा मंदिर अमरेश्वर है जिसका अर्थ है ‘‘अमर प्रभु’’ या ‘‘अमर देवता’’ है। ये दोनों मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। तथा दोनो नाम व मंदिर भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करते है।
ओंकारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है. यह नदी भारत की पवित्रतम नदियों में से एक है और अब इस पर विश्व का सर्वाधिक बड़ा बांध परियोजना का निर्माण हो रहा है।
ओमकारेश्वर शिव लिंग के चारों ओर हमेशा जल भरा रहता है. प्रायः किसी मन्दिर में शिव लिंग की स्थापना गर्भ गृह के मध्य में की जाती है और उसके ठीक ऊपर शिखर होता है, किन्तु यह ओंकारेश्वर लिंग मन्दिर के गुम्बद के नीचे नहीं है. इसकी एक विशेषता यह भी है कि मन्दिर के ऊपरी शिखर पर भगवान महाकालेश्वर की मूर्ति लगी है. कुछ लोगों की मान्यता है कि यह पर्वत ही ओंकाररूप है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा मान्धाता ने यहां नर्मदा किनारे इस पर्वत पर भगवान शिव का प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान शिव शंकर राजा की तपस्या से प्रसन्न हुए। तब राजा ने भगवान शिव से इस स्थान पर निवास करने का वरदान मांगा था। तभी इस इसी स्थान को ओमकार-मान्धाता के रूप में जाने जानी लगी।
एक कथा के अनुसार विंध्य, विन्दचल पर्वत श्रृंखला को नियंत्रित करने वाले देवता शिव का पूजा कर रहे थे। विंध्य अपने घमण्ड में थे वह नारद मुनि से मिले तो उनका घमण्ड खत्म हुआ। उसके पश्चात् विंध्य ने भगवान शिव की आराधना की उन्होने एक शिव लिंग उस स्थान पर बनाया जा जहां वर्तमान ओमकारेश्वर लिंग स्थित है। उसकी आराधना से भगवान शिव प्रसन्न हुए और विंध्य भगवान शिव से वर मांगा की मुझे अभिष्ठ बुद्धि प्रदान करे और कुछ ऐसे करे की उसका नाम भगवान शिव के नाम से सदा जुड रहे। तब भगवान शिव ने विंध्य का वरदान दिया कि अब से तुम्हे ओमकार के नाम जानेगें। सभी देवता व मुनियों के अग्रह पर भगवान शिव ने वह निवास करने का निर्णय लिय तभी ओमकार शिव लिंग दो भागों में बट गया जो ओमकारेश्वर और अमलेश्वर पड गया।
नर्मदा क्षेत्र में ओमकारेश्वर सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भी व्यक्ति देश के सभी तीर्थ यात्रा भले ही कर ले किन्तु जब तब तक वह ओमकारेश्वर आकर किए गए तीर्थो का जल लाकर यहां नहीं चाढता उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते है।