रामगिरि शक्ति पीठ हिन्दूओं के लिए धार्मिक स्थान है। रामगिरि शक्ति पीठ वह स्थान है जहंा माता सती का दांया स्तन का गिरा था। रामगिरि शक्ति पीठ का सही स्थान को लेकर मतभेद है। कुछ लोग शारदा देवी मंदिर को शक्ति पीठ मानते है जो कि मध्य प्रदेश के मैहर में स्थित है और कुछ लोग शारदा मंदिर को शक्ति पीठ मानते है जो कि मध्य प्रदेश के चित्रकुट में स्थित है। ये दोनों ही मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। परन्तु सही स्थान कौन सा है ये अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है।
शारदा देवी मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में मैहर शहर में स्थित है। मैहर शहर में स्थित लगभग 600 फुट की ऊँचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर शारदीय मंदिर जिसकी देवी मां श्रद्धेय देवी है। यह मंदिर ‘मैहर देवी माता’ के नाम से भी सुप्रसिद्ध हैं।
माना जाता है कि यह मंदिर माता के 51 शक्ति पीठों में से एक है और इस स्थान पर माता सती का दांया स्तन गिरा था। यहां शक्ति की पूजा ‘शिवानी’ के रूप में की जाती है और भैरव की (जो कि भगवान शिव का एक रूप है) पूजा ‘चण्ड’ के रूप में की जाती है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का ‘दांया स्तन’ इस स्थान पर गिरा था।
रामगिरि शक्ति पीठ जो दोनों स्थानों को माना जाता है, में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन त्यौहारों के दौरान, कुछ लोग भगवान की पूजा के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में व्रत (भोजन नहीं खाते) रखते हैं। त्यौहार के दिनों में मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।