कौल कोन्डली मंदिर नगरोटा

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Jagti Road, Nagrota, Jammu and Kashmir 181221
  • Timing: 5.00 am to 9.00 pm.
  • Best Time to Visit : March or April and September or October in Festival time.
  • Nearest Railway Station : Jammu Tawi, The temple is located at a distance of about 18.6 km from the railway station.
  • Nearest Air Port : Jammu Airport, which is around 15.8 km away from the temple.
  • Photography: Not allowed any Camera, Mobile inside the temple.

कौल कोन्डली मंदिर नगरोटा शहर, जम्मू-कश्मीर मंे स्थित है यहां मंदिर जम्मू शहर से 14 किलोमीटर कि दूरी पर स्थित है। यह मंदिर माता वैष्णो देवी को समर्पित है। इस मंदिर में माता एक पिण्डी के रूप में स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि अगर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए यात्रा करता है तो उसे पहले इस मंदिर से अपनी यात्रा आरम्भ करनी चाहिए। यह मंदिर ‘माता वैष्णो जी का पहला दर्शन कौल कोन्डली’ के नाम से भी जाना जाता है।

माता कौल कोन्डली नगरोटा नाम क्यो पड़ा?
कौलः महामाया महाशक्ति ने चाँदी का कौल (कटोरा) प्रकट किया था। कोन्डलीः महामाया महाशक्ति ने स्थानीय कन्याओं के साथ कौड़ियाँ खेली थी। नगरोटाः यह नगर पहले नागराज के नाम से विख्यात था और 13 कोस में बसा हुआ था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में वैष्णो माँ यहां पर 5 वर्ष की उम्र में कन्या के रूप में प्रकट हुई। माँ वैष्णों ने इस स्थान पर 12 वर्ष तक तपस्या की तथा तपस्या वाले स्थान पर ही पिण्डी रूप धारण किया। इस मंदिर में माँ स्वयं भू प्राक्रतिक पिण्डी रूप में भक्तों को दर्शन देकर उनकी मनाकामनाओं को पूर्ण करती है। माँ ने इसी स्थान पर स्थानीय कन्याओं के साथ गेंद, कोडियाँ खेली है और झूले झूलें है। 12 साल कि तपस्या के दौरान माता कौल कन्डोली ने विश्व शांति हेतू हवन यज्ञ और भण्डारे किए थे। महा माया ने चार बार चांदी के कौल प्रकट किए थे। महा माया शाक्ति ने तैंतीस करोड़ देवताओं को चांदी का कौल प्रकट करके कौल के अन्दर से 36 प्रकार का भोजन देवताओं को करवाया था। माता जी ने चांदी के कौल को जमीन पर हिलाया तो जमीन से पानी निकल आया और सबको पिलाया। उसी स्थान पर माँ के सेवकों ने कुआं बनाया और उसके कुंए का नाम माता जी का कुआं रखा। जब पांडवो को 13 वर्ष का वनवास हुआ तो पाडवों और उनकी माता कुन्ती का मालूम हुआ कि नाग राज गांव में माँ निवास करती है और अपने भक्तों कि मनोकामना पूरी करती है। तब माता कुन्ती और पांडव यहां पर आए और माता कुन्ती ने माँ स मन्नत मांगी की माँ मेरे बेटों का अज्ञात वास खत्म हो जाए और पान्डवों का उनका राज पाठ वापिस मिल जाए। तब महा माया ने कुन्ती से कहा कि पहले मेरा भवन बनाओ। तब पांडवों ने माता जी का यह भवन (मंदिर) एक रात मे बनाया था। वो रात 6 माह की हुई थी।

इस मंदिर के परिसर में गण्डेश्वरी ज्योतिलिंग का भी मंदिर है ऐसा कहा जाता है कि जब पांडव माँ का भवन बना रहे थे तब भीम ने बोला कि मातेश्वरी मुझे बहुत प्यास लगी। तब महाशक्ति ने कहा कि बेटा यहाँ पर पानी की व्यवस्था नहीं है। तब महामाया भवन के पीछे गई और चाँदी का कौल प्रकट किया और कौल को घीसा वहाँ पर आपशम्मू गण्डेश्वरी ज्योतिलिंग प्रकट हुए वहाँ पर महाशक्ति ने कहा जहाँ शिव होंगे वहाँ शक्ति होगी, जहाँ शक्ति होगी वहाँ शिव होंगे। शक्ति बिना शिव अधूरे हैं, शिव बिना शक्ति अधूरी है। शक्ति और शिव की पूजा करने से ग्रह शांत होते है।

इस मंदिर के परिसर में माता जी का कुआँ है इस कुएँ का जल पीने से मन को शान्ति मिलती है। इस कुएँ के जल को शरीर पर छिड़कने से शरीर शुद्ध होता है। देवी मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।

ऐसा कहा जाता है कि माँ के उपर अर्पण किये गये पुष्पों को विशेष विधि-विधान से भस्म (बबूती) बनाकर उन भक्तों को दिया जाता है जो किसी प्रकार के चर्मरोग से ग्रसित है इस भस्म को खाना और लगाना पड़ता है और वैष्णों भोजन करना पड़ता है। चर्म रोग ठीक हो जाता है।




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