श्री लक्ष्मी पंचमी 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • श्री लक्ष्मी पंचमी 2025
  • बुधवार, 02 अप्रैल 2025
  • पंचमी तिथि प्रारम्भ: 02 अप्रैल 2025 प्रातः 2:32 बजे
  • पंचमी तिथि समाप्त: 02 अप्रैल 2025 रात्रि 11:50 बजे

श्री लक्ष्मी पंचमी हिन्दू समुदाय में एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह त्योहार धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी को समर्पित है। लक्ष्मी पंचमी आमतौर पर चैत्र महीने के पांचवें दिन मनाई जाती है, यह त्योहार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन आता है। लक्ष्मी पंचमी को श्री पंचमी और श्री व्रत के नाम से भी जाना जाता है। श्री देवी लक्ष्मी का दूसरा नाम ‘श्री’ है। ज्यादातर लोग वसंत पंचमी और श्री पंचमी में भ्रमित रहते है। बसंत पंचमी ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित होता है और श्री पंचमी धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी को समर्पित होता है।

श्री लक्ष्मी पंचमी की पूजा विधि

  1. स्नान और संकल्प:
    इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  2. पूजन सामग्री की व्यवस्था:

  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र
  • लाल या पीले वस्त्र
  • चावल, हल्दी, कुमकुम और फूल
  • गंगाजल, दीपक, कपूर और धूपबत्ती
  • मिठाई और फल
  1. पूजा विधि:

  • माँ लक्ष्मी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
  • उन्हें लाल वस्त्र पहनाएं और आभूषण अर्पित करें।
  • धूप, दीप और कपूर जलाकर माँ की आरती करें।
  • लक्ष्मी स्तोत्र या श्री सूक्त का पाठ करें।
  • पूजा के अंत में मिठाई और फल का भोग लगाएं और परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

लक्ष्मी पंचमी व्रत का महत्व

जो भक्त लक्ष्मी पंचमी के दिन व्रत रखते हैं, उन्हें माँ लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत रखने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और दिनभर फलाहार करना चाहिए। शाम के समय पूजा करके व्रत का पारण करना चाहिए।

लक्ष्मी पंचमी और ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्री लक्ष्मी पंचमी के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से कुंडली में मौजूद धन से संबंधित दोष दूर होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में आर्थिक संकट से जुड़े ग्रह दोष होते हैं, वे इस दिन विशेष पूजा करके अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

श्री लक्ष्मी पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था, तब माँ लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में देवी लक्ष्मी सबसे महत्वपूर्ण थीं। उनके प्रकट होते ही चारों दिशाओं में प्रकाश फैल गया, और सभी ने उनका स्वागत किया।

अंत में

श्री लक्ष्मी पंचमी का पर्व श्रद्धा, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना जीवन में धन, सुख और समृद्धि लाती है। माँ लक्ष्मी की कृपा से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। सभी भक्तों को इस पावन पर्व पर माँ लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए।

"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का जाप करें और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करें।

 







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