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सुमनसवंदित सुंदरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये ।
मुनिगण वंदित मोक्षप्रदायिनि मंजुळभाषिणि वेदनुते ॥
पंकजवासिनि देवसुपूजित सदगुणवर्षिणि शांतियुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि जय पालय माम् ॥1॥
अयिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरूपिणि वेदमये ।
क्षीरसमुदभव मंगलरूपिणि मंत्रनिवासिनि मंत्रनुते ॥
मंगलदायिनि अंबुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धान्यलक्ष्मि जय पालय माम् ॥2॥
जयवर वर्णिनि वैष्णविभार्गवि मंत्रस्वरूपिणि मंत्रमये ।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ॥
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि जय पालय माम् ॥3॥
जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।
रथगज तुरग पदादिसमानुत परिजनमंडित लोकनुते ॥
हरि-हर ब्रह्म सुपूजित सेवित तापनिवारिणि पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि श्री गजलक्ष्मि पालय माम् ॥4॥
अयि खगवाहिनि मोहिनि चक्रिणि राग विवर्धिनि ज्ञानमये ।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वरवर गाननुते ॥
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानववंदित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि संतानलक्ष्मि पालय माम् ॥5॥
जय कमलासनि सदगतिदायिनि ज्ञान विकासिनि गानमये ।
अनुदिनमर्चित कुकुंमधूसर भूषितवासित वाद्यनुते ॥
कनक धरा स्तुति वैभव वंदित शंकर देशिक मान्य पते।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयलक्ष्मि जय पालय माम् ॥6॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये ।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शांतिसमावृत हास्यमुखे ॥
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि काम्य फलप्रद हस्तयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि पालय माम् ॥7॥
धिमि धिमि धिम् धिमि धिंधिमि धिंधिमि दुंदुभि्नाद सुपूर्णमये ।
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शंखनिनाद सुवाद्यनुते ॥
वेदपुराणेति हास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि श्री धनलक्ष्मि पालय माम् ॥8॥
"अष्टलक्ष्मी स्तोत्र" एक पवित्र भजन है जो धन, समृद्धि और प्रचुरता की देवी, हिंदू देवी लक्ष्मी के आठ रूपों को समर्पित है। लक्ष्मी का प्रत्येक रूप धन और कल्याण के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा है। जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए देवी लक्ष्मी के इन आठ रूपों का आशीर्वाद पाने के लिए अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का जाप या पाठ किया जाता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र में देवी लक्ष्मी के आठ रूपों का आह्वान किया गया है:
सामंजस्यपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए लक्ष्मी के इन आठ रूपों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त श्रद्धापूर्वक अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करते हैं। आमतौर पर देवी लक्ष्मी को समर्पित त्योहारों, पूजाओं और अनुष्ठानों के दौरान इसका जाप किया जाता है।
यह भजन न केवल भौतिक दृष्टि से बल्कि आंतरिक शक्ति, ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के संदर्भ में भी धन के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह समृद्धि और खुशहाली की समग्र प्रकृति की याद दिलाता है।
संक्षेप में, अष्टलक्ष्मी स्तोत्र एक श्रद्धेय प्रार्थना है जो देवी लक्ष्मी के बहुमुखी आशीर्वाद का जश्न मनाती है और जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक धन दोनों की तलाश के महत्व को रेखांकित करती है।