कालाष्टमी या काला अष्टमी वह दिन होता जिस दिन भगवान शिव ने काल भैरव का रूप प्रकट हुए थे, इसलिए भगवान भैरव के भक्तों के यह दिन महत्वूपर्ण दिन होता है। यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीनें आता है। इस दिन भगवान भैरव के भक्त पूरे दिन उपवास रखते है और वर्ष में सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा करते हैं।
कालाष्टमी, जिसे काला अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है। वैसे प्रमुख कालाष्टमी का व्रत को ‘भैरव जयंती’ के दिन किया जाता है। भैरव, भगवान शिव का क्रोध का रूप अवतार है। ऐसा कहा जा सकता है कि भैरव, भगवान शिव के क्रोध का प्रकटीकरण है।
तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूप की उपासना की बात कही गई है। ये रूप असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव।
कालिका पुराण में भी भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है। इस दिन व्रत रखने वाले साधक को पूरा दिन ‘ॐ कालभैरवाय नमः’ का जाप करना चाहिए। कालभैरव का व्रत रखने से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भैरव साधना करने वाले व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है।