छाया सोमेश्वर मंदिर - तेलंगाना

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: पानापाल, नलगोंडा जिला, तेलंगाना 508004।
  • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक और दोपहर 03:00 से 06:00 बजे तक।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: नलगोंडा रेलवे स्टेशन (NLDA) श्री छाया सोमेश्वर मंदिर से लगभग 13.9 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • निकटतम हवाई अड्डा: राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा श्री छाया सोमेश्वर मंदिर से लगभग 117 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • क्या आप जानते हैं: छाया सोमेश्वर मंदिर की एक विशेषता यह है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर दिन भर एक स्तंभ की छाया रहती है, लेकिन वह छाया कैसे बनती है यह आज तक पता नहीं चल पाया है।

छाया सोमेश्वर मंदिर एक हिन्दू मंदिर जो कि भगवान शिव को पूर्णतयः समर्पित है। छाया सोमेश्वर मंदिर भारत के राज्य तेलंगाना के नलगोंडा जिले के पनापल में स्थित है। छाया सोमेश्वर मंदिर लगभग 800 वर्ष पुराना है इस मंदिर का नाम भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में आता है।

छाया सोमेश्वर मंदिर की एक विशेषता यह है कि पूरे दिन मंदिर में स्थिापित शिवलिंग पर एक स्तम्भ की छाया रहती है, लेकिन वह छाया कैसे बनती है यह आज तक पता नहीं चला। मंदिर के गर्भगृह में कोई स्तम्भ नहीं है, जिसकी छाया शिवलिंग पर पड़े। निश्चित रूप से मंदिर के बाहर जो स्तम्भ हैं, उन्हीं का डिजाइन और स्थान कुछ ऐसा बनाया गया है कि उन स्तंभों की आपसी छाया और सूर्य के कोण के अनुसार किसी स्तम्भ की परछाई शिवलिंग पर आती है।
प्राचीन भारतीय वास्तुकला इतनी उन्नत थी कि मंदिरों में ऐसे आश्चर्य भरे पड़े हैं। उत्तर भारत के मंदिरों पर इस्लामी आक्रमण का बहुत गहरा असर हुआ था, और हजारों मंदिर तोड़े गए, लेकिन दक्षिण में शिवाजी और अन्य तमिल-तेलुगु साम्राज्यों के कारण इस्लामी आक्रान्ता नहीं पहुँच सके थे। दक्षिण में मुगलों द्वारा ज्यादा मंदिरों को नहीं तोड़ पाये थे, और इसीलिए दक्षिण के मंदिरों की वास्तुकला आज भी अपने पुराने स्वरूप में मौजूद है।

छाया सोमेश्वर मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में मध्य में कुंडरु चोल साम्राज्य के राजाओं ने करवाया था। कुछ लोग इसे 11वीं सदी के अंत से लेकर 12वीं सदी की शुरुआत तक मानते हैं। इस मंदिर के सभी स्तंभों पर रामायण और महाभारत की कथाओं के चित्रों का अंकन किया गया है।

एक भौतिक विज्ञानी मनोहर शेषागिरी के अनुसार मंदिर की दिशा पूर्व-पश्चिम है और प्राचीन काल के कारीगरों ने अपने वैज्ञानिक ज्ञान, प्रकृति ज्ञान तथा ज्यामिती एवं सूर्य किरणों के परावृत्त होने के अदभुत ज्ञान का प्रदर्शन करते हुए विभिन्न स्तंभों की स्थिति ऐसी रखी है, जिसके कारण सूर्य किसी भी दिशा में हो, मंदिर के शिवलिंग पर यह छाया पड़ती ही रहेगी।

छाया सोमेश्वर मंदिर में तीन गर्भगृह (गर्भगृह) हैं, जो मंदिर वास्तुकला का एक रूप है जिसे त्रिकुटालयम कहा जाता है। ये तीनों गर्भगृह भगवान शिव, विष्णु और सूर्य को समर्पित हैं। पूर्व दिशा में भगवान सूर्य देव और उत्तर दिशा में भगवान विष्णु का मंदिर है। तीसरा मंदिर जो कि मुख्य मंदिर है इसमें भगवान शिव एक लिंगम के रूप में मुख्य देवता है। तीन तीर्थस्थल तेलिंगाना शैली में जटिल नक्काशीदार स्तंभों के साथ एक आम हॉल (मंडपम) साझा करते हैं। मंदिर महा शिवरात्रि के दौरान एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। मंदिर में तीन प्रवेश द्वार हैं।







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