जब सूर्य या चन्द्रमा की युति राहू या केतु से हो जाती है तो इस दोष का निर्माण होता है। चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोष की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है। चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। माँ के सुख में कमी आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं। मैंने अपने 10 साल के छोटे से अनुभव में ऐसी कई कुण्डलियाँ देखी है जिनमे यह योग बन रहा था और जातक किसी न किसी फोबिया या किसी न किस प्रकार का डर से ग्रसित थे। जिन लोगो में दिमाग में हमेशा यह डर लगा रहता है, उदाहरण के लिए समझे कि "मैं पहड़ो पर जैसे मनाली या शिमला घूमने जाऊँगा तो बस पलट जाएगी। रेल से वहां जाऊंगा तो रेल में बम बिस्फोट हो जायेगा।" इस प्रकार के सारे नकारात्मक विचार इसी दोष के कारण मन में आते है। अमूमन किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया आदि इसी दोष के प्रभाव के कारण माने गए हैं यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें अन्य पाप प्रभाव में भी होता है, तो मिर्गी ,चक्कर व पूर्णत: मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है। सूर्य द्वारा बनने वाला ग्रहण योग पिता सुख में कमी करता है। जातक का शारीरिक ढांचा कमजोर रह जाता है। आँखों व ह्रदय सम्बन्धी रोगों का कारक बनता है। सरकारी नौकरी या तो मिलती नहीं या उसको निभाना कठिन होता है डिपार्टमेंटल इन्क्वाइरी, सजा, जेल, परमोशन में रुकावट सब इसी दोष का परिणाम है।
जरूरी नही की हम हज़ारो रुपए लगा कर, भारी भरकम उपाय कर के ही ग्रहों का या भगवन का पूजन कर उपाय करे जैसे की आजकल ज्योतिष बताते है। बरन हम छोटे छोटे उपाय करके भी भगवन तथा ग्रहों को प्रसन्न कर सकते है। बस उस किये गए उपाय में सच्ची श्रधा भाव तथा उस परम पिता परमेश्वर में विश्वास होना अनिवार्य है। सूर्य देवता के लिए और चन्द्र देवता के लिए भी हम यह उपाय कर उन अपनी कुण्डली में उन्हें बलवान बना सकते है।
सूर्य से बने ग्रहण दोष में या कुण्डली में सूर्य देव के कमजोर होने पर हमे सूर्य देवता को प्रीतिदिन अर्घ्य देना चाहिए उसमे थोड़ा गुड, कुमकुम तथा कनेर के पुष्प या कोई भी लाल रंग पुष्प डाले तथा सूर्य भगवान को यह मंत्र
"ॐ घृणि सूर्याय नमः" या
"ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः" जप ते हुए अर्घ्य दे। इसके अलावा अति प्राचीन और सर्वमान्य आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ सूर्य देवता की पूजा करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तथा सर्वोपरि माना गया है तथा यह अपने प्रभाव जातक को शीघ्र ही अनुभव में करवा देता है।
चन्द्रमा और राहु या केतु से बनने वाले चन्द्र ग्रहण दोष के लिए सबसे अच्छा उपाय शिव जी भगवन की पूजा उनका प्रीतिदिन जल से कच्चे दूध से अभिषेक करना अति लाभदायक सिध्द होता है क्योंकि चन्द्रमा शिव जी भगवान की जटाओं में विराजमान है तथा शिव जी भगवन की पूजा से अति प्रस्सन होता है। इसके अलावा चन्द्रमा देवता के यन्त्र को घर में पूजा की जगह विराजित करे और अपनी पूजा के समय (सुबह और शाम) यन्त्र का भी धूप दीप से पूजन करे चन्द्रमा के मंत्र
"ॐ श्राम श्रीम् श्रोम सः चन्द्रमसे नमः" का जाप करे ।
ग्रहण आरंभ होते ही स्नान करें। पर्व-काल के समय पूजा, तर्पण, श्राद्ध, जप, होम, दान करें। ग्रहण के बाद स्नान करें। ग्रहण समाप्त होने पर स्नान रकें। ग्रहण के दौरान अशुद्ध होने पर स्नान-दान इत्यादि करके आप शुद्ध हो सकते हैं।
सूर्य ग्रहण एक नया मंत्र लेने और ग्रहण किय गए मंत्र को दोहराने के लिए अच्छा समय होता है। ग्रहण काल में पहले लिए गए मंत्र का जाप करने से मंत्र-सिद्धि प्राप्त होती है।
भले ही ग्रहण के दौरान सारा जल गंगा के समान हो, पर घर के गर्म या शीतल जल से स्नान करने की अपेक्षा बहते जल, सरोवर, नदी, महानदी, गंगा में स्नान करना उत्तरोत्तर उत्तम और अधिक लाभदायक होता है।