भद्रकाली मंदिर झांसा रोड़, थानेसर, जिला कुरुक्षेत्र, हरियाणा में स्थित है। भद्रकाली मंदिर को श्री देवीकूप मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भद्रकाली मंदिर देवी काली को समर्पित है जो कि नौ देवी के रूपों में से एक है। भद्रकाली मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। भद्रकाली शक्ति पीठ सावत्री पीठ के नाम से प्रसिद्ध है। भद्रकाली मंदिर में देवी काली की प्रतिमा स्थापित है तथा मंदिर में प्रवेश करते ही बड़ा कमल का फुल बनाया गया है जिसमें मां सती के दायें पैर का टखना स्थापित है जोकि सफेद संगमरमर से बना है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का दायें टखना इस स्थान पर गिर था। सती का दायें टखना इस मंदिर के कूप (कुंआ) में गिरा था इसलिए इसे मंदिर को श्री देवीकूप मंदिर भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में पांडवो ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ इस मंदिर में मां दुर्गा की पूजा कर विजय का आर्शीवाद लिया था और महाभारत युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात् पांडवें ने इस मंदिर में आकर घोडे दान किये थे तब से यही प्रथा चलती आ रही है।
ऐसा भी माना जाता है भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का ‘मुंडन’ (बाल हटाने की प्रथा) इसी स्थान पर किया गया था। इसलिए यह पर लोग अपने बच्चों के मुंडन कराते है।
भद्रकाली मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।