भाद्रपद्र के कृष्ण पक्ष क तृतीया को कजरी तीज पर्व मनाया जाता है। कजरी तीज को बादी तीज के रूप में भी जाना जाता है, जो कि छोटी तीज के विपरीत है। यह पर्व उत्तर प्रदेश के बनारस तथा मिर्जापुर में विशेष रूप से मनाया जाता है। कजरी की प्रतिद्वन्दिता भी होती है। प्रायः लोग नावों पर पर चढ़कर कजरी गीत गाते हैं। यह वर्षा ऋतु का एक विशेष राग है। ब्रज के मल्हारों की भाँति यहाँ पर यह प्रमुख वर्षा गीत माना जाता है।
इस दिन झूला भी पड़ता है। घरों में पकवान, मिष्ठान बनाया जाता है। ग्रामीण अंचलों में इसे तीजा कहते हैं। ग्रामीण बालाएँ तथा वधुएँ हिंडोले पर बैठकर कजरी गीत गाती हैं। वर्षा ऋतु में यह गीत पपीहा, बादलों तथा पुरवा हवाओं के झोकों से बहुत प्रिय लगता है।
महिलाएँ अपने पति की सलामती और लम्बी उम्र के लिए कई व्रत रखती है। उन्हीं में से एक व्रत कजरी तीज का भी है। इस दिन महिलाएँ दिनभर निर्जला व्रत रखती और प्रार्थना करती की है उनके पति की आयु लम्बी हों।
कजरी तीज मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को है। तृतीया तिथि 11 अगस्त 2025 को सुबह 10:33 बजे शुरू होगी और 12 अगस्त 2025 को सुबह 08:40 बजे समाप्त होगी।