शीतला माता मंदिर हिन्दूओं का एक धार्मिक व पवित्र स्थान है। शीतला माता मंदिर देवी माता शीतला देवी को समर्पित है। यह मंदिर भारत के हरियाणा राज्य के गुरुग्राम (गुडगांव) शहर में स्थित है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से है। महाभारत महाकाव्य के अनुसार इसी स्थान पर गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवो और पांडवो का अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दिया करते थे। महर्षि शरद्वान की पुत्री तथा कृपाचार्य की बहन कृपी के साथ गुरु दोणाचार्य का विवाह हुआ था। जब गुरु द्रोणाचार्य महाभारत के युद्ध में द्रोपद पुत्र धृष्ट्द्युम्न के हाथो वीरगति को प्राप्त हुए थे तो उनकी पत्नी कृपी सोलह श्रृंगार कर गुरु द्रोणाचार्य के साथ उनकी चिता में बैठ गई। लोगो ने उन्हें रोकने का प्रयत्न किया परन्तु अपने पति के चिता में सती होने का दृढ निर्णय ले चुकी कृपी ने लोग की बात नहीं मानी। सती होने से पूर्व उन्होंने लोगो को आशीर्वाद देते हुए कहा की मेरे इस सती स्थल पर जो भी व्यक्ति अपनी मनोकामनाए लेकर पहुंचेगा वे अवश्य पूरी होगी।
भरतपुर नाम के एक राजा ने 1650 सन में गुड़गांव में जहाँ पर माता कृपी सती हुई थी, एक बहुत ही भव्य मंदिर बनवाया तथा उस मंदिर में सवा किलो सोने से निर्मित माता कृपी की मूर्ति स्थापित करी। इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई लोक कथाऐं है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में माता शीतला की पूजा करने से व्यक्ति को कभी चेचक का रोग नहीं होता। इसके साथ ही यहाँ लोग अपने बच्चे का प्रथम मुंडन भी करवाते है। हर साल लाखो लोग अपने बच्चों का मुंडन इस मंदिर में कराते है।
माता कृपी का शीतला माता नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर लोगो की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। यहाँ वेसाख और आसाढ़ के महीने तथा आश्र्विन के नवरात्रियों में बहुत ही विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। नवरात्रियों के अवसर पर काफी अधिक संख्या में भक्त माता शीतला के दर्शन के लिए यहाँ आते है। देश के अनेको राज्यों से विशेष कर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली आदि प्रदेशों से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए भारी संख्या में पहुंचते हैं और माता शीतला के समक्ष अपनी मन्नते रखते है। विश्व भर में प्रसिद्ध माता शीतला का यह 500 साल पुराना प्राचीन मंदिर दुनिया भर के भक्तो का आस्था का केंद्र है।