तुलसी मानस मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जोकि भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह मंदिर वाराणासी के कैन्ट से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तुलसी मानस से लगभग 250 मीटर की दूरी पर वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर और 700 मीटर के दूरी पर श्री दुर्गो कुण्ड मंदिर स्थित है।
तुलसी मानस मंदिर का वाराणसी के मंदिरों में विशेष महत्त्व है। इसका मंदिर का हिन्दू धर्म में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्त्व भी है। क्योंकि प्राचीन हिन्दू महाकाव्य रामचरितमानस का सरल रूप में 16वीं शताब्दी में हिन्दू कवि व संत गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा इसें स्थान पर लिखा गया था।
रामायण जो कि हिन्दू धर्म का विशेष महाकाव्य है। रामायण का संस्कृत भाषा में वाल्मीकि द्वारा लिखा गया था। जो लगभग 500 और 100 ईसा पूर्व के बीच लिखा माना जाता है। क्योंकि मूल रामायण संस्कृत में है। इसलिए जन साधरण का समझना आसान नहीं था। इसलिए रामचरितमानस को आसान हिन्दी भाषा में लिखा गया था।
तुलसी मानस मंदिर का निर्माण सेठ रतन लाल सुरेका ने करवाया था। यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बनाया गया है। इस मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा सन् 1964 में किया गया था।
इस मंदिर के मध्य में श्री रामए माता जानकी, लक्षण और हनुमान की मूर्ति स्थिपित है। इनके एक तरफ माता अन्नपूर्णा एवं शिवजी तथा दूसरी तरफ सत्यनारायण स्थिपित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि पूरे मंदिर की दिवारों पर रामचरित मानस को अंकित किया गया है। दिवारों पर संगमरमर के पत्थर पर पूरी रामायण को नक्कासी द्वारा बहुत ही सुन्दर ढंग से लिखा गया है। मंदिर के दूसरे मंजिल पर संत तुलसी दास जी कि मूर्ति स्थिपित है। तुलसी मानस मंदिर में अन्नकूट, कृष्णजन्मष्टमी और राम नवीं के त्योहार को बहुत अच्छे ढंग से मनाय जाता है। मंदिर के प्रथम तल पर सभी भाषाओं में रामायण दुर्लभ प्रतियों का पुस्तकालय भी है।