काल भैरव मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह मंदिर वाराणसी का सबसे पुराना मंदिर है जो कि भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को पूर्णतयः समर्पित है। काल का अर्थ मृत्यु व समय होता है। ऐसा कहा जाता है भगवान शिव इस रूप को तभी धारण करते थे जब किसी की वध करना होता था। वाराणसी को काशी भी कहा जाता है। क्योंकि काशी भगवान शिव का अति प्रिय नगरी थी इसलिए भगवान शिव ने काल भैरव को क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। इसलिए काल भैरव को काशी वासियों को दण्ड देने का भी अधिकार है। मंदिर के गर्भगृह में काल भैरव की चांदी की मूर्ति है, जो कि भैरव के वाहन कुत्ता है, पर विरामान है।
काल भैरव मंदिर के निर्माण के सही जानकारी नहीं है। परन्तु वर्तमान मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में किया था। ऐसा माना जाता है कि उत्तर भारत पर इस्लामवादी विजय से पुराने मंदिर का नष्ट कर दिया गया था, तथा 17वीं शताब्दी में इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था।
ऐसा माना जाता है कि काल भैरव को, भगवान शिव ने इसलिए काशी का कोतवाल नियोक्त किया था, माता सती के पिंड कि रक्षा हेतु, माता सती के शरीर का एक हिस्सा पिंड रूप में काशी में गिरा था, जो माता के 51 शक्ति पीठों में से एक है। जिस जगह पर शरीर का हिस्सा गिरा था, वह स्थान विशालाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।