काल भैरव मंदिर वाराणसी

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: पांडेयपुर रोड, नाई बस्ती, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221002।
  • समय: 24 घंटे खोलें।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन - 3.9 कि.मी.
  • मुगलसराय जंक्शन - 15.2 किमी
  • मदुआडीह रेलवे स्टेशन - 6.6 किमी
  • वाराणसी शहर - 4.6 किमी
  • निकटतम हवाई अड्डा: लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो काल भैरव मंदिर से लगभग 23.7 किमी दूर है।
  • निकटतम बस स्टैंड: काल भैरव मंदिर से लगभग 3.4 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी बस स्टैंड।
  • मंदिर तक कैसे पहुंचे: आप ऑटो रिक्शा या टैक्सी करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  • यात्रा का सबसे सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च यात्रा का सबसे अच्छा समय है और (सुबह 7:00 बजे से पहले सुबह)।
  • स्थापत्य शैली: हिंदू मंदिर
  • वर्ष फिर से बनाया गया: 17 वीं शताब्दी
  • क्या आप जानते हैं: यह माना जाता है कि काल भैरव, भगवान शिव ने काशी के क्षत्रप को नियुक्त किया था।

काल भैरव मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित है। यह मंदिर वाराणसी का सबसे पुराना मंदिर है जो कि भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को पूर्णतयः समर्पित है। काल का अर्थ मृत्यु व समय होता है। ऐसा कहा जाता है भगवान शिव इस रूप को तभी धारण करते थे जब किसी की वध करना होता था। वाराणसी को काशी भी कहा जाता है। क्योंकि काशी भगवान शिव का अति प्रिय नगरी थी इसलिए भगवान शिव ने काल भैरव को क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। इसलिए काल भैरव को काशी वासियों को दण्ड देने का भी अधिकार है। मंदिर के गर्भगृह में काल भैरव की चांदी की मूर्ति है, जो कि भैरव के वाहन कुत्ता है, पर विरामान है।

काल भैरव मंदिर के निर्माण के सही जानकारी नहीं है। परन्तु वर्तमान मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में किया था। ऐसा माना जाता है कि उत्तर भारत पर इस्लामवादी विजय से पुराने मंदिर का नष्ट कर दिया गया था, तथा 17वीं शताब्दी में इस मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था।

ऐसा माना जाता है कि काल भैरव को, भगवान शिव ने इसलिए काशी का कोतवाल नियोक्त किया था, माता सती के पिंड कि रक्षा हेतु, माता सती के शरीर का एक हिस्सा पिंड रूप में काशी में गिरा था, जो माता के 51 शक्ति पीठों में से एक है। जिस जगह पर शरीर का हिस्सा गिरा था, वह स्थान विशालाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है।










2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं