मार्कंडेय महादेव मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Kaithi, Uttar Pradesh 221116
  • Best time to visit : October to March is best time to visit the Markandey Mahadev Temple.
  • Open and Close Timings : 04:00 am to 10:00 pm
  • Nearest Railway Station : Rajawari railway station at a distance of nearly 4.2 kilometres from Markandey Mahadev Temple. Varanasi City railway station at a distance of nearly 26.7 kilometres from Markandey Mahadev Temple.
  • Nearest Airport : Lal Bahadur Shastri International Airport at a distance of nearly 44.3 kilometres from Markandey Mahadev Temple.
  • Did you Know: Shri Markandeshwar Mahadev Dham is one of the main deities of the Purvanchal. Markandeya Mahadev Temple is one of the religious places of Uttar Pradesh. This Dham, which is equivalent to Dwadash Jyotirlinga, has also been discussed in Shri Markandeya Purana.

मार्कंडेय महादेव मंदिर भगवान शिव के प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से 30 किलोमीटर कैथी गांव में स्थित है। वाराणसी से गाजीपुर राजमार्ग द्वारा कैथी गांव जाया जाता है। यह मंदिर भगवान शिव पुर्णतः समर्पित है। श्री मारकंडेश्वर महादेव धाम यह पूर्वांचल के प्रमुख देवालयों में से एक है। मार्कण्डेय महादेव मंदिर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों में से एक है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष वाले इस धाम कि चर्चा श्री मार्कंडेय पुराण में भी की गयी है। विभिन्न प्रकार की परेशानियों से ग्रसित लोग अपनी दुःखों को दूर करने के लिए यहां आते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार एक दंपति थे जिनका नाम मृकंडु और उनकी पत्नी मरुदवती था। वे भगवान शिव के भक्त थे और उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने भगवान शिव की आराधना करने का फैसला किया और एक दिन भगवान शिव उनकी आराधन से खुश हो गए और दोनों को अपने दर्शन दियें। दंपति ने भगवान शिव से संतान प्राप्ति के लिए अनुरोध किया। भगवान शिव ने कहा कि आपके दांपत्य जीवन में संतान सुख नहीं है। क्योंकि आपने मेरी आराधना कि है इसलिए आपके समक्ष दो विकल्प है कि सामान्य पुत्र जिसकी आयु लंबी हो या असाधारण पुत्र जिसकी अल्पायु अर्थात् उसकी आयु केवल 16 वर्ष होगी। दंपति ने असाधारण पुत्र की प्राप्ति के लिए भगवान शिव से अनुरोध किया। इस मंदिर को महामृत्युंजय मंदिर भी कहा जाता है।

कुछ समय बाद मरुदवती ने एक बच्चे को जन्म दिया और उसका नाम “मार्कंडेय“ रखा (जिसका अर्थ है मृकंडु का पुत्र)। वह असाधारण था और भगवान ने बच्चे को उपहार दिया और बचपन में बहुत बुद्धिमान हो गया। वे हमेशा भगवान शिव और महामृत्युंजय मंत्र के स्वामी के लिए समर्पित थे। जब उन्होंने अपनी 16 वर्ष की आयु पूरी कर ली, तब यम (मृत्यु के देवता) उन्हें लेने के लिए पृथ्वी पर आए। उस समय मार्कंडेय मंदिर में शिव लिंग की पूजा कर रहे थे। जब यम ने उसे अपने साथ जाने के लिए कहा, तो वह बहुत भयभीत हो गया और भगवान शिव से उसकी रक्षा करने की भीख मांगी। यम ने अपनी रस्सी लड़के पर फेंक दी और कुछ देर बाद भगवान शिव, शिव लिंग में से प्रकट हुऐ। यम के अशिष्ट व्यवहार से भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए। भगवान शिव ने मार्कंडेय के जीवन को बचाया और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी का आशीर्वाद दिया और साथ ही कहा कि वह हमेशा सोलह साल के रहेगें। उस दिन, भगवान शिव ने घोषणा की थी, कि उनके भक्त हमेशा यम की रस्सी से सुरक्षित रहेंगे। भगवान शिव की ज्वलंत उपस्थिति (जो मार्कंडेय को बचाने के लिए प्रकट हुई थी) को कलशमहारा मूर्ति कहा जाता है।

उस समय भगवान भोलेनाथ ने अपने परम भक्त मारकण्डेय ऋषि से कहा कि आज से जो भी श्रद्धालु या भक्त मेरे दर्शन को इस धाम में आयेगा वह पहले तुम्हारी पूजा करेगा उसके बाद मेरी। तब से यह आस्थाधाम मारकण्डेय महादेव के नाम से विख्यात हुआ।

मार्कंडेय महादेव मंदिर में प्रति वर्ष महाशिवरात्रि के अलावा सावन माह में काफी संख्या में कांवरिया बाबा का जलाभिषेक करते हैं। साथ ही भक्तगण यहां महीने में दो त्रयोदशी को भी भगवान भोलेनाथ का दर्शन पूजन कर धन्य होते हैं।




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