पौष माह की पूर्णिमा हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन होता है। पौष माह की पूर्णिमा से माघ मास का पवित्र स्नान का शुभारम्भ होता है। पौष माह की पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। उत्तर भारत में यह दिन शुभ माना जाता है। इस दिन हजारों लोग गंगा व यमुना नदी में पवित्र स्नान करते है।
पौष माह की पूर्णिमा के दिन हरिद्धार व प्रयागराज में हजारों लोग गंगा नदी में पवित्र स्नान करने आते है। सर्दी होने के बावजूद लोगों मां गंगा के पवित्र जल में स्नान करते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों से छुटकार मिल जाता है और यहां तक कि ‘मोक्ष’ की प्राप्ति होती है। हरिद्धार व प्रयागराज के अलवों अन्य प्रमुख तीर्थ स्थान जैसे नासिक, उज्जैन और वाराणसी हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन वाराणसी में ‘दशाश्वमेध घाट’, प्रयाग में ‘त्रिवेणी संगम, हरिद्धार में ’हर की पौणी’ और उज्जैन में ‘राम घाट’ पर पवित्र स्नान अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के शुभ दिन पवित्र डुबकी आत्मा को जन्म और मृत्यु के निरंतर चक्र से मुक्त करती है।
यदि कोई व्यक्ति इन तीर्थ स्थानों पर नहीं जा सकता है तो उसे इस दिन सूर्योदय से पहले नदी, तालाब, कुआँ आदि के जल से स्नान कर सकता हैं, या घर पर ही सूर्यादय से पहले स्नान करने वाले जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकता है। इसके बाद भगवान वासुदेव की पूजा की जाती है। पूजा समाप्ति के बाद ब्राह्माणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा देकर विदा करते हैं। इससे भगवान वासुदेव प्रसन्न रहते हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन भगवान ’सत्यनारायण’ व्रत भी रखा जाता हैं और पूरी भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं। पूरे दिन उपवास करने के बाद ’सत्यनारायण’ कथा का पाठ करना चाहिए। भगवान को अर्पित करने के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है। अंत में एक ’आरती’ की जाती है जिसके बाद प्रसाद को सभी में वितरित किया जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन, पूरे भारत में भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष ’पुष्यभिषेक यात्रा’ मनाई जाती है। इस दिन रामायण और भगवद् गीता पर व्याख्यान भी आयोजित किए जाते हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन दान करना भी बहुत शुभ होता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान आसानी से फल देता है। ’अन्ना दान’ के तहत जरूरतमंदों को मंदिरों और आश्रमों में मुफ्त भोजन परोसा जाता है।
इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों से छुटकार मिल जाता है और यहां तक कि ‘मोक्ष’ की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा के दौरान शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। इस्कॉन और वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी इस दिन पुष्यभिषेक यात्रा शुरू करते हैं। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली जनजातियां पौष पूर्णिमा के दिन चरता पर्व (छिरता पर्व) मनाते हैं।