हिन्दू कैलेंडर में श्रावण मास व सावन मास को बहुत पवित्र माना जाता है। सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है। इस पुरे मास में भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है। सावन मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के व्रत रखते है।
उत्तरी भारत के राज्यों में श्रावण मास को सावन मास के नामस से भी जाना जाता है। सावन मास के दौरान पड़ने वाले सभी सोमवार या सोमवार को उपवास के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है और श्रावण सोमवार या सावन सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता है। कई भक्त सावन महीने के पहले सोमवार से सोलह सोमवार या सोलह सोमवार उपवास रखते हैं।
श्रावण मास में सभी मंगलवार या मंगलवार भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती को समर्पित हैं। श्रावण मास में मंगलवार का व्रत मंगल गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। सावन शिवरात्रि और हरियाली अमावस्या श्रावण मास के अन्य शुभ दिन हैं।
हिंदू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया था, तो देवी सती ने क्रोध वश अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर का त्याग किया था। देवी सती शरीर का त्याग करने से पहले महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।