शनि दशरथ स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।1।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।2।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।3।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।4।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ।।5।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिाणाय नमोऽस्तुते ।।6।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ।।7।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ।।8।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।9।।

प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत ।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल: ।।10।।

शनि दशरथ स्तोत्र एक हिंदू प्रार्थना या भजन है जो भगवान शनि को समर्पित है, जिन्हें श्री शनिदेव के नाम से भी जाना जाता है। शनिदेव को हिंदू ज्योतिष में नौ दिव्य देवताओं में से एक माना जाता है और उनका संबंध शनि ग्रह से है। ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति के जन्म कुंडली में शनि की स्थिति के आधार पर, उनके भाग्य और दुर्भाग्य सहित उनके जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। भक्त शनिदेव का आशीर्वाद लेने और शनि के दुष्प्रभाव से सुरक्षा पाने के लिए उनकी शरण में जाते हैं।

शनि दशरथ स्तोत्र भगवान शनि की स्तुति में रचित एक शक्तिशाली प्रार्थना है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का भक्ति और ईमानदारी से पाठ करने से शनि के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। स्तोत्र का जाप अक्सर शनिवार के दिन किया जाता है, जो शनिदेव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।

यह स्तोत्र भगवान शनि की शक्ति को स्वीकार करता है और उनका आशीर्वाद और सुरक्षा मांगता है। भक्तों का मानना है कि इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से, वे अपने जीवन में चुनौतियों और बाधाओं को कम कर सकते हैं और भगवान शनि की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यद्यपि शनि दशरथ स्तोत्र शनि के अशुभ प्रभावों से राहत चाहने वाले भक्तों के लिए एक श्रद्धेय प्रार्थना है, लेकिन इसे भक्ति और ईमानदारी के साथ पढ़ा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ज्योतिषीय प्रभावों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के लिए किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श करने या किसी की जन्म कुंडली के अनुसार उपाय खोजने की भी सिफारिश की जाती है।









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