

हमारे घरों में प्रतिदिन पूजा-पाठ और दीपक जलाने की परंपरा है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण को शुद्ध करने का माध्यम भी है। जब दीपक की बातियाँ जलकर समाप्त हो जाती हैं, तो अक्सर लोग उन्हें कूड़े में फेंक देते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना उचित नहीं है। जली हुई बातियों में भी दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
दीपक की जली हुई बातियों को अशुद्ध नहीं माना जाता। यह शुभ ऊर्जा को संचित करती हैं। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि उन्हें कभी भी अपशिष्ट की तरह फेंकना नहीं चाहिए।
सभी जली हुई बातियों को 10 दिन तक इकट्ठा करके रखें। ग्यारहवें दिन इन बातियों को एक बड़े दीपक में डालें। उस दीपक में कपूर और 4 लौंग डालें और सभी बातियों को एक साथ जला दें।
जब ये बातियाँ जलें, तो दीपक का धुआं पूरे घर में घुमाएं और अंत में घर की छत पर छोड़ दें। माना जाता है कि इस क्रिया से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध एवं पवित्र बनता है।
अगले दिन उस दीपक की थोड़ी-सी राख को एक छोटी डिब्बी में सुरक्षित रख लें।
अगर राख अधिक मात्रा में हो जाए तो उसे पेड़ों की मिट्टी में मिला दें। यह प्रकृति के प्रति सम्मान और पुनर्चक्रण (recycling) का भी प्रतीक है।
जली हुई बातियों को कूड़े में फेंकना न केवल धार्मिक दृष्टि से अनुचित है बल्कि इससे उनकी सकारात्मक ऊर्जा भी नष्ट होती है। शास्त्रों में बताए गए इस सरल उपाय से आप घर में शांति, सुख-समृद्धि और सकारात्मकता बनाए रख सकते हैं।