मंत्र और जाप एकाग्रता बढ़ाने में हमारी सहायता करते हैं। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो संवेगक आनंद और उत्तेजना से परिपूर्ण हुई है। हमारा जीवन हमारे कार्यालय के काम, घर के काम, परिवार, बच्चे, दैनिक उठापटक, भागमभाग के आसपास ही घूमता रहता है। इसलिए अपने मानसिक को रोकना, उसे कुछ भी सोचने से बाहरी करना अत्यंत मुश्किल काम है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि मानव मस्तिष्क निरंतर कार्यशील व गतिशील बना रहता है। वह निरंतर कार्य करता है, वह हमेशा किसी न किसी कारणवश व्यस्त रहता है। उसकी रुचि, उसकी इच्छा, उसकी सोच, सब कुछ किसी न किसी चीज पर केंद्रित होती है। और जब वह किसी एक चीज पर ध्यान केंद्रित करता है, तो वह कुछ और सोचने की क्षमता खो देता है।
मंत्र जाप मस्तिष्क को एकाग्र करने का सबसे सरल उपाय है। जब व्यक्ति ध्यान करता है और अपने मंत्र का जाप करता है, तो वह धीरे-धीरे अपने मस्तिष्क को शांत करता है। इस प्रकार वह एक स्थिर और समाहित मन की ओर अग्रसर होता है।
ध्यान का अंतर्गत आने के बाद हर सीमा, हर बाधा, हर दूरी, हर अलगाव दूर होने लगता है। इसके बाद वह यह महसूस करने लगता है कि वह ब्रह्मांड का अभिन्न अंग है। यह अनुभव उस पर गहरा प्रभाव छोड़ता है, जिससे वह अपनी चेतना को उस परमात्मा से जोड़ पाता है।
जब हम ईश्वर के साथ एक गहरा संबंध बनाते हैं, तो वह हमारी आत्मा को भीतर से शक्तिशाली बना देता है। यह हमें इस भौतिक जीवन के तनाव से मुक्त करता है और हमें आत्मिक शांति प्रदान करता है।