हरिद्वार - ईश्वर का द्वार

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: हरिद्वार, उत्तराखंड 249401
  • सड़क: दिल्ली और माना दर्रे के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 58, हरिद्वार से होकर गुजरता है और इसे गाजियाबाद, मेरठ, मुज़फ़्फ़रनगर, रूड़की और बद्रीनाथ से जोड़ता है और हरिद्वार से निकलने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 74 इसे काशीपुर, किच्छा, नगीना, पीलीभीत और बरेली से जोड़ता है।
  • निकटतम रेलवे. स्टेशन: हरिद्वार रेलवे स्टेशन
  • निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा जो हरिद्वार से 35 किमी दूर स्थित है। नई दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।

हरिद्वार का अर्थ ‘ईश्वर का द्वार’ है, जिसे मायापुरी, गंगाद्वार, मोक्षद्वार भी कहा जाता है, जो उत्तराखंड राज्य में एक प्राचीन शहर है।

यह गंगा नदी के तट पर स्थित हिंदुओं के सात पवित्रतम स्थानों में से एक है। गंगा नदी, गंगोत्री ग्लेशियर तथा अपने स्रोत से लगभग 250 किलोमीटर (157 मील) बहने के बाद, यह गंगा नदी इंडो-गंगा के मैदानी इलाकों में उतरती है।

हरिद्वार तीर्थयात्रा महत्व

समुद्र मंथन के अनुसार, हरिद्वार उन चार स्थलों में से एक है जहां दिव्य पक्षी गरुड़ द्वारा अमृत ले जाते हुए इन चार स्थानों पर अमृत की बून्दे गिरी थी। अन्य तीन स्थान है उज्जैन, नासिक और प्रयाग (इलाहाबाद)।

इन 4 स्थलों पर हर 3 वर्षों के बाद कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।

कुंभ मेले के दौरान, भारत और विदेशों से लाखों तीर्थयात्रियों, भक्तों और पर्यटकों द्वारा मोक्ष प्राप्ति व अपने सभी पापों को धोने के लिए गंगा नदी में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए एकत्रित होते है।

माना जाता है कि ब्रह्मा कुंड का स्थान वह स्थान है जहां पर अमृत गिरा था। यह हर की पौड़ी, जिसका अर्थ है भगवान के नक्शेकदम पर, और हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगीरथ, जो सूर्यवंशी राजा सगर के प्रपौत्र (श्रीराम के एक पूर्वज) थे, गंगाजी को सतयुग में वर्षों की तपस्या के पश्चात् अपने पूर्वजों के उद्धार और कपिल ऋषि के श्राप से मुक्त करने के लिए के लिए पृथ्वी पर लाये। ये एक ऐसी परंपरा है जिसे करोड़ों हिन्दू आज भी निभाते है, जो अपने पूर्वजों के उद्धार की आशा में उनकी चिता की राख लाते हैं और गंगाजी में विसर्जित कर देते हैं।

गंगा के किनारे शाम आरती की जाती है। नदी में तैरते सुनहरे कपलंे का प्रतिबिंब आगंतुकों को घाट के एक भव्य दृश्य बनाता है।

हर की पौढी के आस-पास के कई मंदिर हैं सुचित सिंह द्वारा निर्मित किया गया चंडी देवी मंदिर गंगा नदी के तट पर एक नील पर्वत के ऊपर स्थित है। माया देवी मंदिर एक जगह पर स्थित है, जहां यह कहा जाता है कि देवी सती के दिल और नाभि गिरे थे। यह स्थान सिद्धपीठों में से एक है। मानवसा देवी मंदिर है जो बिल्वा पर्वत के ऊपर स्थित है और देवी मानसा देवी को समर्पित है। कवड़ मेला, सोमवती अमावस्या मेला, गंगा दशरा, गुगल मेला जैसे त्योहार मनाए जाते हैं।

हरिद्वार में स्नान घाट

  • हर की पौड़ी
  • अस्थी प्रवाह घाट
  • सुभाष घाट
  • गौ घाट
  • शपथ सरवोर क्षेत्र घाट
  • सर्वनंद घाट
  • पन्द्वीप घाट
  • कांगड़ा घाट
  • रूड बाला वाला घाट
  • गणेश घाट
  • वार्गी शिविर घाट
  • सती घाट
  • दक्षेश्वर घाट
  • सिंह द्वार घाट
  • सीता घाट

हरिद्वार मौसम

हरिद्वार में वर्ष के अधिकांश समय सुखद वातावरण रहता है। जलवायु कभी भी चरम पर नहीं जाती है, जो हरिद्वार को एक ऐसा पर्यटन स्थल बनाती है, जहाँ साल के किसी भी समय जाया जा सकता है। गर्मियों में हरिद्वार का तापमान 35 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। ग्रीष्म ऋतु हल्की और मध्यम होती है जिसके बाद मानसून में अच्छी वर्षा होती है।

सर्दियों का तापमान 10 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। हरिद्वार में सर्दियाँ बहुत ठंडी होती हैं। इस दौरान ऊनी कपड़े जरूरी होते हैं।

मानसून का मौसम जुलाई से सितंबर तक होता है और इस दौरान भारी बारिश के कारण अधिकांश गतिविधियाँ निलंबित हो जाती हैं। अगस्त माह में सर्वाधिक वर्षा होती है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में स्थितियाँ सुखद और शीतोष्ण होती हैं।

हरिद्वार की यात्रा करने का आदर्श समय सितंबर और अप्रैल के महीनों के बीच है।





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