कूर्म द्वादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण द्वादशी का दिन होता है। कूर्म द्वादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी की तिथि होती है। कूर्म संस्कृत का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ कछुआ होता है। कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने समुंद्र मंथन के लिए कछुए का अवतार लिया था, जो भगवान विष्णु का दूसरा अवतार माना जाता है। कूर्म द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के अवतार कछुए की पूजा का विधान होता है।
कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि चांदी व अष्टधातु का कछुआ घर व दुकान में रखना अति शुभकारी होता है। काले रंग का कछुआ को ओर भी शुभ बताया जाता है, इससे जीवन में हर तरह की तरक्की की संभावना बढ़ती है।
कूर्म द्वादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। व्रत करने वाल व्यक्ति को सूर्योदय के समय उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए। भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति व कुछए की प्रतिमा को पूजा स्थल पर रखा जाता है और फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं। इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ माना जाता है।