“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी देव्यै नम:”
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करे तथा इस स्तोत्र का नित्य पाठ करे।
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य वरदाभय शोभितम्।
तदाज्ञांशरणं गच्छत् शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
बन्दी कमल पत्राक्षी लौह श्रृंखला भंजिनीम्।
प्रसादं कुरू मे देवि! शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
त्वं बन्दी त्वं महा माया त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती।
त्वं देवी रजनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
त्वं ह्रीं त्वमोश्वरी देवि ब्राम्हणी ब्रम्हा वादिनी।
त्वं वै कल्पक्षयं कर्त्री शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
देवी धात्री धरित्री च धर्म शास्त्रार्थ भाषिणी।
दु: श्वासाम्ब रागिणी देवी शीघ्रं मोचं ददातु मे।
नमोस्तुते महालक्ष्मी रत्न कुण्डल भूषिता।
शिवस्यार्धाग्डिनी चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
नमस्कृत्य महा-दुर्गा भयात्तु तारिणीं शिवां।
महा दु:ख हरां चैव शीघ्रं मोचं ददातु मे॥
इंद स्तोत्रं महा-पुण्यं य: पठेन्नित्यमेव च।
सर्व बन्ध विनिर्मुक्तो मोक्षं च लभते क्षणात्॥
"बंदी मोचन हनुमान स्तोत्रम" भगवान हनुमान को समर्पित एक शक्तिशाली भजन है, विशेष रूप से कैदियों के मुक्तिदाता, बंदी मोचन के रूप में। इस स्तोत्र का जाप भक्तों द्वारा भगवान हनुमान का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए किया जाता है, खासकर संकट के समय और चुनौतियों का सामना करते समय। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ बाधाओं को दूर करने, शक्ति प्रदान करने और विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों और बंधनों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
स्तोत्रम में आम तौर पर छंद शामिल होते हैं जो भगवान हनुमान की वीरता और दयालु प्रकृति का वर्णन करते हैं और भक्तों की रक्षा और मार्गदर्शन के लिए उनकी दिव्य उपस्थिति का आह्वान करते हैं। भक्त आस्था और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का जाप करते हैं, भगवान हनुमान से जीवन की चुनौतियों और प्रतिकूलताओं के बंधन से मुक्त होने की कृपा मांगते हैं।
बंदी मोचन हनुमान स्तोत्रम अत्यधिक पूजनीय है और साहस, शक्ति और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति चाहने वालों के लिए हनुमान पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसका पाठ अक्सर हनुमान जयंती और अन्य शुभ अवसरों पर किया जाता है।