उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कटारमल सूर्य मंदिर, भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस सूर्य मंदिर को बड़ादित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 2,116 मीटर (6,942 फीट) की ऊंचाई पर, कोसी गांव से लगभग 1.5 किलोमीटर (0.93 मील) की दूरी पर स्थित है। अल्मोड़ा से 12 किलोमीटर (7.5 मील) और नैनीताल से 70 किलोमीटर (43 मील) की दूरी पर स्थित यह मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं।
कटारमल देव द्वारा यह मंदिर बनवाया गया था। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कालनेमि नामक राक्षस का आतंक फैला हुआ था, जिसके कारण यहां के लोगों ने भगवान सूर्य का आह्वान किया। भगवान सूर्य ने उनकी रक्षा के लिए बरगद के वृक्ष में वास किया। इसी कारण उन्हें यहां "बड़ आदित्य" के नाम से भी जाना जाता है।
9वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं द्वारा निर्मित, यह मंदिर उस समय की अद्वितीय वास्तुकला का जीता जागता प्रमाण है। ओडिशा के कोणार्क मंदिर के बाद, कटारमल सूर्य मंदिर को देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है। मंदिर में भगवान बड़-आदित्य की मूर्ति स्थापित है, जो पत्थर या धातु से बनी है और गर्भ गृह में सुरक्षित रखी गई है। इस मंदिर में कुल 45 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जो मुख्य मंदिर के चारों ओर फैले हुए हैं। ये सभी मंदिर चंदन की लकड़ी के दरवाजों और पैनलों से सुसज्जित थे, जिनमें से कुछ अब राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में संरक्षित हैं।
कटारमल सूर्य मंदिर की विशेषता यह है कि यहां साल में दो बार, 22 अक्टूबर और 22 फरवरी को, सूर्य की किरणें सीधे गर्भ गृह में स्थित भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। यह दृश्य अद्वितीय और दर्शनीय होता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं। इस घटना का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है, जो मंदिर की संरचना और निर्माण की उत्कृष्टता को दर्शाता है।
कटारमल सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक भी है। स्थानीय निवासी इसे प्राचीन काल का एक महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं, जहां भगवान की प्रतिमा पर सूर्य की किरणों से साक्षात दर्शन होते हैं। यहां हर महीने हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।
कटारमल के पास स्थित जी.बी. पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट, एक महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्थान है, जिसे भारत सरकार ने 1988 में स्थापित किया था। यह संस्थान हिमालयी पर्यावरण और विकास के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। संस्थान का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों पर अध्ययन करना और उनके समाधान के लिए कार्य करना है।
कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर न केवल भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि सूर्य पूजा के धार्मिक महत्व को भी उजागर करता है। प्राकृतिक सुंदरता से घिरे इस मंदिर का दौरा एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जो इतिहास, संस्कृति और आस्था के संगम का प्रतीक है। यदि आप कभी उत्तराखंड की यात्रा पर हों, तो कटारमल सूर्य मंदिर को अपनी यात्रा सूची में अवश्य शामिल करें।