कटारमल सूर्य मंदिर - भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: सूर्य मंदिर कटारमल, अल्मोड़ा, अधेली सुनार, उत्तराखंड 263601
  • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 03:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: कटारमल सूर्य मंदिर से लगभग 98.6 किलोमीटर की दूरी पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: कटारमल सूर्य मंदिर से लगभग 131 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर हवाई अड्डा।
  • क्या आप जानते हैं: कटारमल सूर्य मंदिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है।

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कटारमल सूर्य मंदिर, भारतीय वास्तुकला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। इस सूर्य मंदिर को बड़ादित्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर समुद्र तल से 2,116 मीटर (6,942 फीट) की ऊंचाई पर, कोसी गांव से लगभग 1.5 किलोमीटर (0.93 मील) की दूरी पर स्थित है। अल्मोड़ा से 12 किलोमीटर (7.5 मील) और नैनीताल से 70 किलोमीटर (43 मील) की दूरी पर स्थित यह मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं।

कटारमल देव द्वारा यह मंदिर बनवाया गया था। कहा जाता है कि इस क्षेत्र में कालनेमि नामक राक्षस का आतंक फैला हुआ था, जिसके कारण यहां के लोगों ने भगवान सूर्य का आह्वान किया। भगवान सूर्य ने उनकी रक्षा के लिए बरगद के वृक्ष में वास किया। इसी कारण उन्हें यहां "बड़ आदित्य" के नाम से भी जाना जाता है।

कटारमल सूर्य मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

9वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं द्वारा निर्मित, यह मंदिर उस समय की अद्वितीय वास्तुकला का जीता जागता प्रमाण है। ओडिशा के कोणार्क मंदिर के बाद, कटारमल सूर्य मंदिर को देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है। मंदिर में भगवान बड़-आदित्य की मूर्ति स्थापित है, जो पत्थर या धातु से बनी है और गर्भ गृह में सुरक्षित रखी गई है। इस मंदिर में कुल 45 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जो मुख्य मंदिर के चारों ओर फैले हुए हैं। ये सभी मंदिर चंदन की लकड़ी के दरवाजों और पैनलों से सुसज्जित थे, जिनमें से कुछ अब राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में संरक्षित हैं।

सूर्य की किरणों का अद्भुत दृश्य

कटारमल सूर्य मंदिर की विशेषता यह है कि यहां साल में दो बार, 22 अक्टूबर और 22 फरवरी को, सूर्य की किरणें सीधे गर्भ गृह में स्थित भगवान की मूर्ति पर पड़ती हैं। यह दृश्य अद्वितीय और दर्शनीय होता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक और श्रद्धालु यहां आते हैं। इस घटना का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है, जो मंदिर की संरचना और निर्माण की उत्कृष्टता को दर्शाता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

कटारमल सूर्य मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय संस्कृति और वास्तुकला का प्रतीक भी है। स्थानीय निवासी इसे प्राचीन काल का एक महत्वपूर्ण मंदिर मानते हैं, जहां भगवान की प्रतिमा पर सूर्य की किरणों से साक्षात दर्शन होते हैं। यहां हर महीने हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है।

जी.बी. पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट

कटारमल के पास स्थित जी.बी. पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट, एक महत्वपूर्ण अनुसंधान संस्थान है, जिसे भारत सरकार ने 1988 में स्थापित किया था। यह संस्थान हिमालयी पर्यावरण और विकास के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। संस्थान का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दों पर अध्ययन करना और उनके समाधान के लिए कार्य करना है।

कटारमल सूर्य मंदिर के बारे में रोचक तथ्य:

  • देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर: कटारमल सूर्य मंदिर को ओडिशा के प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है। यह अपने अद्वितीय स्थापत्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
  • 9वीं शताब्दी का निर्माण: इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में कत्यूरी राजाओं द्वारा किया गया था। यह मंदिर उस समय की वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, जिसमें चूने और दाल के पेस्ट से बना चिपकने वाला एजेंट प्रयोग किया गया था।
  • 45 छोटे मंदिरों का समूह: मुख्य सूर्य मंदिर के चारों ओर 44 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनमें शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण जैसे अन्य देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यह मंदिर परिसर अत्यंत सुंदर और शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • सूर्य की किरणों का अद्भुत दृश्य: हर साल 22 अक्टूबर और 22 फरवरी को सूर्य की किरणें सीधे गर्भ गृह में स्थित भगवान बड़-आदित्य की मूर्ति पर पड़ती हैं। यह अद्वितीय घटना मंदिर की संरचना और निर्माण की उत्कृष्टता को दर्शाती है।
  • चंदन की लकड़ी का दरवाजा: मंदिर के गर्भ गृह का दरवाजा चंदन की लकड़ी से बना था, जिसे अब दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। यह दरवाजा अपनी अद्वितीय नक्काशी और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
  • दुर्लभ सूर्य मंदिर: भारत में बहुत कम सूर्य मंदिर हैं, और कटारमल सूर्य मंदिर उन दुर्लभ मंदिरों में से एक है, जो सूर्य देवता को समर्पित है। यह मंदिर उत्तराखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • वास्तुकला का गवाह: मंदिर की दीवारों और पैनलों पर की गई नक्काशी उस समय की उत्कृष्ट शिल्पकला को दर्शाती है। इस मंदिर को प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है।
  • आसान पहुंच: कटारमल मंदिर कोसी गांव से केवल 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अल्मोड़ा से 12 किलोमीटर दूर है। यह सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे यहां तक पहुंचना आसान है।
  • अनूठी संरचना: मंदिर की निर्माण शैली और इसकी अनूठी संरचना इसे एक विशेष आकर्षण बनाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला और इतिहास के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • हजारों श्रद्धालुओं का आगमन: कटारमल सूर्य मंदिर हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है, जो इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को देखने और अनुभव करने के लिए यहां आते हैं।

कटारमल सूर्य मंदिर उत्तराखंड के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर न केवल भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि सूर्य पूजा के धार्मिक महत्व को भी उजागर करता है। प्राकृतिक सुंदरता से घिरे इस मंदिर का दौरा एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जो इतिहास, संस्कृति और आस्था के संगम का प्रतीक है। यदि आप कभी उत्तराखंड की यात्रा पर हों, तो कटारमल सूर्य मंदिर को अपनी यात्रा सूची में अवश्य शामिल करें।









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