केदारनाथ मंदिर हिन्दुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यह मंदिर 12 ज्योतिलिंगों में से एक है तथा चार धाम और पंच केदार में भी इस मंदिर का नाम सम्मिलित है। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिल में स्थित है तथा उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।
यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चैकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय और इसका जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था।
केदारनाथ मंदिर की भक्तों में बड़ी मान्यता है। उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनो के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनापथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश पूर्वक जीवन मुक्ति की प्राप्ति बतलाया गया है।
ऐसा माना जात है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया। यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर अवस्थित हैं।
एक कथा के अनुसार इस मंदिर को पंचकेदार इसलिए माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो अपने पाप से मुक्ति के लिए भगवान शंकर का आर्शीवाद चाहते थे। पांडवो भगवान शंकर को खोजते हुए केदारनाथ पहुँच गए जहां भगवान शंकर ने बैल का रूप धारण कर रखा था। पांडवो ने भगवान शंकर को खोज कर उनसे आर्शीवाद प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए, तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमाण्डू में प्रकट हुआ। अब वहां पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। शिव की भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमदेश्वर में और जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुए। इसलिए इन चार स्थानों सहित श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है।
जून 2013 के दौरान भारत के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। अचानक आई बाढ़ से मंदिर को काफी नुकसान हुआ था। ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित रहा।
केदारनाथ मंदिर दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है।