नरसिंह मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: NH 58, Joshimath, Uttarakhand 246443
  • Open and Closing Timings : 07:00 am to 06:00 pm.
  • Best time to visit : Feburary to November.
  • Nearest Railway Station : Rishikesh railway station at a distance of nearly 255 kilometres from Narsingh badri Temple.
  • Nearest Airport : Jolly Grant airport of Dehradun at a distance of nearly 269 kilometres from Narsingh badri Temple.
  • By Road: The trip to Narsingh Badri usually begins from Haridwar passing through Rishikesh-Devprayag–Rudraprayag–Karnaprayag–Joshimath-Narsingh Badri Temple.
  • Did you know: The main idol in Narsingh Temple, which is established in the form of half-a-lion and half-man, is the fourth incarnation of Lord Vishnu. The story of Narasimha Badri Temple is closely related to the legend of the Bhavishya Badri temple.

नरसिंह मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान विष्णु के चैथे अवतार नरसिंह को समर्पित है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित है। नरसिंह मंदिर जोशीमठ के सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को नरसिंह बद्री या नरसिम्हा बद्री भी कहा जाता है। नरसिंह मंदिर को जोशीमठ में नरसिंह देवता मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को सप्त मंदिर की यात्रा में से एक है। भगवान नरसिंह को अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए एवं राक्षस हिरण्यकशिपु का वध करने के लिए जाना जाता है ।

नरसिंह मंदिर में मुख्य मूर्ति जो आधा शेर और आधा आदमी के रूप में स्थिपित है, जो भगवान विष्णु के चैथे अवतार है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के स्थापना आदि गुरू शंकरचार्य ने की थी। मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति शालिग्राम के पत्थर से बनी है। इस मूर्ति का निमार्ण आठवी शताब्दी में कश्मीर के राजा ललितादत्य युक्का पीडा के शासनकाल के दौरान किया गया था। ऐसा भी माना जाता है कि नरसिंह देवता की यह मूर्ति स्वंय भू है। छवि 10 इंच (25 सेमी) ऊंची है और कमल की स्थिति में बैठे भगवान को दर्शाती है।

नरसिंह ब्रदी मंदिर की कथा भविष्य बद्री मंदिर की पौराणिक कथा से निकटता से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि मूर्ति की बायीं भुजा समय के साथ कम होती जा रही है और अंत में जब गायब हो जाएगी। बद्रीनाथ का मुख्य मंदिर व बद्रीनाथ धाम का रास्ता अवरुद्ध व दुर्गम हो जायेगा। तब भगवान बद्री, भविष्य बद्री मंदिर में भी दर्शन देगें। बद्रीनाथ मंदिर के बजाय भविष्य बद्री मंदिर पूजा की जाएगी।

जब सर्दियों में मुख्य बद्रीनाथ मंदिर बंद हो जाता है, तो बद्रीनाथ के पुजारी इस मंदिर में चले जाते हैं और यहां बद्रीनाथ की पूजा जारी रखते हैं। केंद्रीय नरसिम्हा मूर्ति के साथ, मंदिर में बद्रीनाथ की एक मूर्ति भी है।











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