योगध्यान बद्री मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: NH 7, Pail Chak Bhyudar, Uttarakhand 246443
  • Open and Closing Timings: Morning 06:00 am to 07:00 pm.(Temple Open for Full Year). Best time to visit : In the months of April to November .
  • Nearest Railway Station : Rishikesh railway station at a distance of nearly 270 kilometres from Gaurikund Temple.
  • Nearest Airport : Jolly Grant airport of Dehradun at a distance of nearly 288 kilometres from Gaurikund Temple.
  • By Road: The trip to Yogdhyan Badri usually begins from Haridwar passing through Rishikesh-Devprayag–Rudraprayag–Karnaprayag–Nandprayag-Joshimath-Vishnuprayag-Yogdhyan Badri.
  • Did you know: The name of this temple comes in the holy 'Sapta Badri'. This is the place where Pandavas were born. King Pandu had attained salvation at this place.

योगध्यान बद्री मंदिर हिन्दूओं का प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर में से एक है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के पांडुकेश्वर में स्थित है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के गोविंद घाट के किनारे पर  तथा समुद्र तल से लगभग 1,920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर का नाम पवित्र ‘सप्त बद्री’ में आता है। यह मंदिर बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान आता है, जोशीमठ से 18 किलोमीटर की दूरी पर और हनुमान चट्टी से 9 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

ऐसा माना जाता है कि महाभारत के नायक पांच पांडवों के पिता राजा पांडु ने इस स्थान पर भगवान विष्णु की कांस्य की मूिर्त स्थापित करी थी। यही वह स्थान है जहां पर पांडव पैदा हुए थे। राजा पांडु ने इस स्थान पर मोक्ष प्राप्त किया था। इस मंदिर भगवान विष्णु की मूर्ति एक ध्यान मुद्रा में स्थापित है इसलिए इस स्थान को ‘योग-ध्यान बद्री’ कहा जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध में अपने चचेरे भाई कौरवों को पराजित करने और मारने के बाद पांडव यहां पश्चाताप करने आए थे। उन्होंने अपने राज्य हस्तीनापुर को अपने पोते परीक्षित को सौंप दिया और हिमालय में तपस्या करने के लिए गए थे।

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर भगवान बद्रीनाथ की उत्सव-मूर्ति के लिए योगध्यान बद्री को शीतकालीन निवास माना जाता है। उधव, कुबेर और भगवान विष्णु की उत्सव मूर्ति की पूजा इस मंदिर में की जाती है। इसलिए, यह धार्मिक रूप से नियुक्त किया गया है कि इस स्थान पर प्रार्थनाओं के बिना तीर्थयात्रा पूरी नहीं होगी। दक्षिण भारत के भट्ट (पुजारी) मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में कार्य करते हैं।



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