भविष्य बद्री मंदिर एक हिन्दूओं का प्रसिद्ध एव प्राचीन मंदिर है। भविष्य बद्री मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के जोशीमठ से 17 किलोमीटर की दूरी पर गांव सुभाई में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 2,744 मीटर से ऊंचाई पर स्थित है। भविष्य बद्री मंदिर घने जंगल के बीच स्थित है तथ यह तक केवल ट्रेगिंग द्वारा की जाया जा सकता है। यह धौली गंगा नदी के किनारे कैलाश और मानसरोवर पर्वत के एक प्राचीन तीर्थ मार्ग पर स्थित है।
भविष्य मंदिर पंच बद्री (बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, आदि बद्री तथा वृद्ध बद्री) एवं सप्त बद्री तीर्थ में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिरों को निर्माण आदि शंकराचार्य ने किया था। उत्तराखंड क्षेत्र में कई मंदिरों के निर्माण के लिए आदि शंकराचार्य को श्रेय दिया जाता है। आदि शंकराचार्य द्वारा इन मंदिरों के निर्माण उद्देश्य देश के हर दूरदराज हिस्से में हिन्दू धर्म का प्रचार करना था। यहां मंदिर के पास एक शिला है, इस शिला को ध्यान से देखने पर भगवान की आधी आकृति नजर आती है। यहां भगवान बद्री विशाल शालिग्राम मूर्ति के रूप में विराजमान हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार जब कलयुग के अन्त में नर और नारायण पर्वत के आपस में मिलने पर बद्रीनाथ धाम का रास्ता अवरुद्ध व दुर्गम हो जायेगा। तब भगवान बद्री इस भविष्य बद्री मंदिर में भी दर्शन देगें। बद्रीनाथ मंदिर के बजाय यहां पूजा की जाएगी। इस मंदिर में भगवान विष्णु के एक अवतार नरसिंह की मूर्ति के पूजा की जाती है।
भविष्य बद्री जोशीमठ से लगभग 11 किलोमीटर दूर सलधर तक मोटर वाहन से जाया जाता है। इसके बाद मंदिर तक पहुंचने के लिए 6 किलोमीटर पैदल रास्ता है।