ज्येष्ठ हिन्दू धर्म में तीसरा मास का नाम होता है, जिसे चन्द्र हिन्दू कैलेंडर में ज्येष्ठ मास कहा जाता है। हिन्दू धर्म विक्रम सवंत् के अनुसार तीसरा महीना होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में मई व जून का महीना होता है। अब भाषा में ज्येष्ठ मास का जेट का मास भी कहा जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व होता है इस प्रकार ज्येष्ठ मास का भी महत्व है।
विक्रम संवत में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है। हिन्दू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। हिन्दू धर्म में महीना का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को ज्येष्ठ का मास कहा जाता है।
बंगाली में जोइश्थो के नाम से जाना जाता है, यह बंगाली कैलेंडर का दूसरा महीना है। तमिल में, महीने को आनी के रूप में जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष में, ज्येष्ठ सूर्य के वृष राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है, और वर्ष का दूसरा महीना होता है।
ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ के महीने में पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था, इसदिन को गंगा दशहरा के नाम से जाता है। ज्येष्ठ मास में भगवान शनि देव का जन्म भी हुआ था, इसलिए हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व माना जाता है। ज्येष्ठ के मास में गर्मी अपने पूरे चरम सीमा पर होती है। इसलिए ज्येष्ठ मास गर्मी का महीना भी कहा जाता है।
भगवान शनि देव जयंती, गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी प्रमुख व्रत और त्योहार है। ज्येष्ठ मास में बुढवा मंगल का बहुत महत्व होता है। यह ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा की जाती है।