मार्कंडेय जयंती 2025 - ऋषि मार्कंडेय की अमरता और भक्ति का पर्व

महत्वपूर्ण जानकारी

  • मार्कंडेय जयंती 2025
  • शनिवार, 01 फरवरी 2025

मार्कंडेय जयंती हिंदू धर्म का एक पवित्र पर्व है, जो महान संत और चिरंजीवी ऋषि मार्कंडेय की स्मृति में मनाया जाता है। यह जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार  माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धालु ऋषि मार्कंडेय की पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान शिव की उपासना करते हैं।

ऋषि मार्कंडेय अपने ज्ञान, तपस्या और भगवान शिव के प्रति अनन्य भक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति और तपस्या से मृत्यु को भी पराजित किया जा सकता है

कौन थे ऋषि मार्कंडेय?

ऋषि मार्कंडेय (संस्कृत: मार्कण्डेय) हिंदू ग्रंथों में वर्णित एक महान ऋषि थे। वे ऋषि मृकण्ड और उनकी पत्नी मनस्विनी के पुत्र थे।

उनका उल्लेख महाभारत, भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण में मिलता है। ऋषि मार्कंडेय को हिंदू धर्म में अष्ट चिरंजीवी (आठ अमर व्यक्तित्वों) में शामिल किया गया है, जो युगों-युगों तक जीवित रहते हैं।

मार्कंडेय जयंती का महत्व

मृत्यु पर विजय की प्रेरणा

मार्कंडेय ऋषि की कथा यह दर्शाती है कि सच्ची भक्ति और तपस्या से मृत्यु को भी हराया जा सकता है। इस दिन लोग भगवान शिव और मार्कंडेय ऋषि की पूजा कर जीवन में सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करते हैं।

शिव भक्ति का पर्व

मार्कंडेय ऋषि भगवान शिव के परम भक्त थे। उन्होंने शिवलिंग की उपासना करके मृत्यु से मुक्ति पाई। इस दिन शिवलिंग का विशेष पूजन, अभिषेक और रुद्राभिषेक किया जाता है।

धर्म और तपस्या का प्रतीक

मार्कंडेय जयंती हमें यह सिखाती है कि नियमित साधना, सत्कर्म और भगवान के प्रति समर्पण से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

ऋषि मार्कंडेय और यमराज की कथा

ऋषि मार्कंडेय की सबसे प्रसिद्ध कथा यमराज से उनकी मुक्ति की है।

  • उनके पिता मृकण्ड ऋषि ने शिव की घोर तपस्या कर एक पुत्र प्राप्त किया, लेकिन शिव ने उन्हें दो विकल्प दिए:
    1. एक गुणी और धार्मिक पुत्र, जिसकी उम्र केवल 16 वर्ष होगी।
    2. एक दीर्घायु पुत्र, लेकिन वह मंदबुद्धि और दुराचारी होगा।
  • मृकण्ड ऋषि ने पहले विकल्प को चुना और मार्कंडेय जन्मे।
  • जब उन्होंने अपनी मृत्यु का समय नजदीक आते देखा, तो वे भगवान शिव की घोर तपस्या में लीन हो गए।
  • जब यमराज उनके प्राण लेने आए, तो उन्होंने शिवलिंग को कसकर पकड़ लिया और भगवान शिव को पुकारने लगे।
  • यमराज ने अपना फंदा फेंका, जो शिवलिंग के चारों ओर भी लिपट गया।
  • इससे भगवान शिव क्रोधित हो उठे, और उन्होंने यमराज पर आक्रमण कर दिया, उन्हें पराजित कर दिया और उन्हें पुनर्जीवित किया।
  • शिव ने मार्कंडेय को अमरता का वरदान दिया और वे हमेशा 16 वर्ष के बने रहे

इसी कारण भगवान शिव को कालांतक (मृत्यु के नाशक) कहा जाता है।

मार्कंडेय जयंती की पूजा विधि

व्रत और उपवास

  • इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और भगवान शिव व ऋषि मार्कंडेय की पूजा करते हैं।
  • व्रत रखने से आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

शिवलिंग पूजा

  • भगवान शिव का जल, दूध, गंगाजल, शहद और बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है।
  • रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है।

कथा पाठ और हवन

  • इस दिन मार्कंडेय पुराण और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाता है।
  • कुछ स्थानों पर हवन और यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है।

दान और सेवा

  • गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • इस दिन गायों को चारा खिलाने और ब्राह्मणों को भोजन कराने की भी परंपरा है।

महामृत्युंजय मंत्र का जप

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

इस मंत्र का जप 1008 बार करने से मृत्यु भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

सप्त चिरंजीवी मंत्र

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमानश्च विभीषणः।
कृपः परशुरामश्च सप्तैतै चिरंजीविनः॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथस्थमम्।
जीवेद्वर्षशतम् सोपि सर्वव्याधिविवर्जितः॥

इस मंत्र का जाप करने से दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ होता है।

अंत में

मार्कंडेय जयंती केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक दिन है जो हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति, तपस्या और भगवान के प्रति समर्पण से कोई भी संकट टाला जा सकता है

यह पर्व हमें शिव भक्ति, मृत्यु पर विजय, और धर्म की शक्ति का संदेश देता है।

इस पावन अवसर पर, आइए हम सभी भगवान शिव और ऋषि मार्कंडेय की पूजा करें, उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाएं और एक सुखी, स्वस्थ और समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर हों।

जय शिव शंकर! जय ऋषि मार्कंडेय! 🚩🙏







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