'राम' नाम जप का रहस्य - वैक्री से पश्यन्ति तक की यात्रा

जब हम राम नाम का जप करते हैं, तो शुरुआत में "राम राम राम" की ध्वनि स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। लेकिन जैसे-जैसे जप की गति बढ़ती है, यह ध्वनि बदलकर "मरा मरा मरा" और फिर अंततः "रं रं रं" में परिवर्तित हो जाती है। आइए इस प्रक्रिया को गहराई से समझने का प्रयास करें।

वैक्री वाक् से मध्यमा वाक् तक

वैक्री वाक्: जब हम राम नाम का जप करते हैं और "राम राम" शब्द को स्पष्ट रूप से सुनते हैं, तो इसे वैक्री वाक् कहते हैं। यह वह अवस्था है जहां ध्वनि बाहरी कानों से सुनी जाती है और यह स्पष्ट रूप से उच्चारित होती है।

मध्यमा वाक्: जब हम राम नाम जप की गति बढ़ाते हैं, तो "राम राम" की ध्वनि बदलकर "मरा मरा" सुनाई देने लगती है। इसका अर्थ है कि अब राम नाम का जप बाहरी कानों से नहीं, बल्कि हमारे मन के अंदर सुना जा रहा है। यह अवस्था मध्यमा वाक् कहलाती है, जहां ध्वनि मन के स्तर पर होती है और केवल हम ही इसे समझ सकते हैं।

मध्यमा वाक् से पश्यन्ति वाक् तक

पश्यन्ति वाक्: जब हम अपने जप की गति को और बढ़ाते हैं, तो "राम राम" की ध्वनि और अधिक सूक्ष्म होकर "रं रं रं" में परिवर्तित हो जाती है। पश्यन्ति वाक् वह अवस्था है जहां ध्वनि मन से भी नीचे, आत्मा के स्तर पर पहुँच जाती है। यहाँ "रं" एक शुद्ध कंपन है, जिसका कोई विशेष अर्थ नहीं होता, केवल एक शुद्ध ध्वनि या कंपन होती है।

पश्यन्ति वाक् की महिमा

पश्यन्ति वाक् को सत्य माना जाता है क्योंकि यह ध्वनि की सबसे शुद्ध अवस्था है। जब राम नाम का जप पश्यन्ति वाक् तक पहुँचता है, तो वह केवल एक कंपन रह जाता है। इस अवस्था में, राम नाम का जप हमारे अंदर गहरे तक पहुँचता है और आत्मा के स्तर पर स्पंदित होता है। यही कारण है कि "राम नाम सत्य है" कहा जाता है।

राम नाम का जप केवल शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक अभ्यास है जो हमें बाहरी ध्वनि से लेकर आंतरिक शुद्ध कंपन तक की यात्रा कराता है। यह प्रक्रिया हमें यह समझने में मदद करती है कि राम का नाम केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह एक शाश्वत सत्य और शुद्ध ऊर्जा है।

इस प्रकार, जब हम "राम राम राम" का जप करते हैं और यह "रं रं रं" में परिवर्तित हो जाता है, तो यह संकेत है कि हम ध्वनि की शुद्धतम अवस्था में पहुँच रहे हैं। यही वह अवस्था है जहां राम नाम का शुद्ध कंपन हमें आत्मा के स्तर पर स्पंदित करता है और हमें ईश्वर से मिलन का अनुभव कराता है। इसी कारण "राम नाम सत्य है" का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।







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