उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर पूर्वी दिल्ली के मुख्य मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मयूर विहार, फेस-1, दिल्ली में स्थित है। उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर दिल्ली के आस-पास के मल्याली समुदाय के लोगों के लिए दिल्ली के प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मूल रूप से गुरुवायुरप्पन मंदिर की एक प्रतिकृति है जो भारत के केरल राज्य में स्थित है।
उत्तरा गुरुवायुरप्पन मंदिर की स्थिापना 2 अक्टूबर 1986 में संकचार्या ने की थी। ऐसा कहा जाता है कि जहां मंदिर स्थित है यह एक विधवा महिला जो कि एक कश्मीरी थी, इस भूमि की स्वामी थी और महिला इस भूमि पर एक मंदिर बनाना चाहती थी। बाद में डीडीए ने इस भूमि पर कब्जा कर लिया था। कुछ समय पश्चात् डीडीए ने यह भूमि मंदिर बनाने के लिए आशी धर्म परिषद को आवंटित कर दी। पाई। कई सालों के बाद मूल जमीन के मालिक की बेटी जमीन की तलाश में आई थी। उसने पाया कि जमीन मंदिर को आवंटित की गई थी। महिला की बेटी ने मंदिर के निर्माण के लिए 40,000 रूपये का दान दिया था। आज भी महिला की बेटी द्वारा दिया गया दान याद रखा गया है।
प्रारंभिक वर्षों के दौरान, यह एक छोटा सा भवन व दीवारें थी, लेकिन अब यह मंदिर सामाजिक-धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र में विकसित हुआ है। पवित्र भवन प्रत्येक दिन भगवान कृष्ण, चैतिनिक भगवती (देवी), भगवान विग्नेश्वर, भगवान शिव और भगवान अय्यप्पा जैसे देवताओं की पूजा करने के लिए भक्तों की बड़ी संख्या में आते हैं। मंदिर के पास एक भवन है ‘‘गोकुलाम’’ जहां दूर से आये भक्तों के लिए रहने का प्रबंध किया जाता है।
मंदिर प्रबंधन आर्शी धर्म परिषद (रजिग) द्वारा किया जाता है, जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है।