झूला देवी मंदिर, रानीखेत पहाड़ी स्टेशन पर आकर्षण का स्थान है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में अल्मोड़ा जिले के चैबटिया गार्डन के निकट रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर स्थित है। वर्तमान मंदिर परिसर 1935 में बनाया गया था। मंदिर परिसर के चारों ओर लटकी हुई अनगिनत घंटियां ‘मा झुला देवी’ की दिव्य व दुख खत्म करने वाली शक्तियो को दर्शाती है।
यह कहा जाता है कि मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है। चैबटिया जंगली जानवर से भरा घना जंगल था। तेंदुओं और बाघ लोगों पर हमला करते थे और अपने पशुओं को ले जाते थे। लोगों को डर लग रहता था और खतरनाक जंगली जानवरों से उनकी सुरक्षा के लिए ‘माता दुर्गा’ से प्रार्थना की जाती थी। ऐसा कहा जाता है कि ‘देवी’ एक चरवाहा को सपने में दिखाई दी और चरवाहा कहा कि वह एक विशेष स्थान खोदे जहां वह एक मूर्ति पाई और वह उस जगह पर एक मंदिर बनवाना चाहती थी। इसके बाद ग्रामीणों ने उस जगह पर एक मंदिर का निर्माण किया और देवता की मूर्ति स्थापित किया और इस तरह ग्रामीणों को जंगली जानवरों द्वारा उत्पीड़न से मुक्त कर दिया गया और चरवाहों को आजादी से क्षेत्र के चारों ओर घूमने लगे।
बच्चे आनन्द के साथ वह झुला से खेलेंगे लगे तब ‘मां दुर्गा’ फिर से किसी के सपने में दिखाई दी और खुद के लिए ‘झूला’ के लिए कहा। वहां के भक्तों ने मंदिर के अंदर एक लकड़ी के झुला में मूर्ति रखी। तब से ‘मां झुला देवी’ और मंदिर को ‘झूला देवी मंदिर’ के रूप में बुलाया जाता है। यह तथ्य बताता है कि इस क्षेत्र में तेंदुओं और बाघों की उपस्थिति के बावजूद, ग्रामीणों और उनके मवेशी आज भी जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं। लोग मानते हैं कि ‘मां झूला देवी’ अभी भी उन्हें और उनके पशुधन की रक्षा करती है।