हरियाली तीज हिन्दूओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है यह त्योहार श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन हिन्दू महिलाएँ उपवास रखती है। उत्तरी भारत के सब नगरों में विशेष रूप से मनाया जाता है। घर-घर में झूले पड़ते हैं। नारियों के समूह लोक गीत गाती है। सावन में सुन्दर से सुन्दर पकवान, गुँजिया, घेवर, फैनी आदि बेटियों को सिंधारा भेजा जाता है। इस तीज पर मेंहदी लगाने को विशेष महत्त्व है। स्त्रियाँ पैरों आलता भी लगाती हैं जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिव और पार्वती का इस दिन पुनर्मिलन हुंआ था। इस दिन हिन्दू महिलाएँ भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती है। इस दिन को छोटी तीज व श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसी कहा जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती जी के कहने पर यह आर्शीवाद दिया कि जो कुंवारी कन्या इस व्रत को रखेगी तो उसके विवाह में आने वाली बाधायें दूर होगी। इस दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था।
इस दिन राजस्थान में राजपूत लाल रंग के कपड़े पहनते हैं। माता पार्वती की सवारी निकाली जाती है। राजा सूरजमल के शासन काल में इस दिन पठान कुछ स्त्रियों का अपहरण करके ले गये थे। जिन्हें राजा सूरजमल ने छुड़वाकर अपना बलिदान दिया था। उसी दिन से यहाँ मल्लयुद्ध का रिवाज शुरू हो गया।
इस दिन महिलायें उपवास रखती है और हरियाली तीज की कथा सुनती है। भगवान शिव व पार्वती की पूजा करती है। विवाहित महिलायें यह व्रत इसलिए करती है उनके पति की आयु लम्बी हो और उनका परिवार में सुखों की वृद्धि हों।
माना जाता है कि इस कथा को भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए सुनाया था। कथा कुछ इस प्रकार है--
शिवजी कहते हैं: हे पार्वती। बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे। अधिक पढ़ें..