मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2024

महत्वपूर्ण जानकारी

  • मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा, मार्गशीर्ष पूर्णिमा
  • रविवार, 15 दिसंबर 2024
  • पूर्णिमा तिथि आरंभ: 14 दिसंबर 2024 को शाम 04:59 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 02:31 बजे

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को यह व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है। इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी और जल तत्व को पूर्ण रूप से प्रभावित करता है। इस दिन को दैवीयता का दिन माना जाता है। मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा दोगुनी शुभ होती है इसलिए ध्यान, दान और स्नान करना विशेष लाभकारी होता है।

पूजा विधान

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के व्रत में भगवान नारायण की पूजा का विधान है। सबसे पहले नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करें। सफेद कपड़े पहले और और आचमन करें, इसके बाद व्रत में ‘ऊँ नमो नारायण’ मंत्र का उच्चारण करें। चाकोर वेदी पर हवन करने के लिए अग्नि स्थापित करें। तेल, घी, बूरा, आदि की आहुति दें। हवन की समाप्ति के बाद भगवान का पूजन करना चाहिए और अपना व्रत उनके अर्पण कर निम्न श्लोक कहे-

पौर्ण मास्यं निराहारः स्थिता देव तवाज्ञया।
मोक्ष्यादि पुण्डरीकाक्ष परेऽह्वि शरणं भव।।

हे देव पुण्डरीकाक्ष! मैं पूर्णिमा को निराहार व्रत रखकर दूसरे दिन आपकी आज्ञा से भोजन ग्रहण करूँगा। आप मुझे अपनी शरण में लेवें।
इस प्रकार भगवान को व्रत समर्पित करके सांयकाल चन्द्रमा के उदय होने पर दोनों घुटनों के बल बैठकर सफेद फूल, अक्षत, चंदन, जल सहित चन्द्रमा को अघ्र्य देवें। अघ्र्य देते समय चन्द्रमा से विनती करें।

हे देवता! आपका जन्म अत्रि कुल में हुआ है और आप क्षीर सागर में प्रकट हुए हैं। मेरे अघ्र्य को स्वीकार करें। चन्द्रमा को अघ्र्य देने के पश्चात् हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।

हे भगवान! टाप श्वेत किरणों से सुशोभित हैं, आपको मेरा नमस्कार है, आप द्विजों के राजा हैं। आपको मेरा नमस्कार है। आप रोहिणी के पति हैं, आपको मेरा नमस्कार है।

इस प्रकार रात्रि होने पर भगवान की मूर्ति के पास शयन करें। दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करायें और दान देकर विदा करें।







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