जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।।